समर्थ गुरु रामदास | Samarth Guru Ramdas

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Samarth Guru Ramdas by राजबहादुर सिंह - Rajbahadur Singh

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about राजबहादुर सिंह - Rajbahadur Singh

Add Infomation AboutRajbahadur Singh

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
समर्थं रामदास १३ के शिष्य गाँव-गांव और घर-धरमें गाने लगे थे, ५दास बोध” में उन्होंने गढ़ धार्मिक सिद्धान्तोंकी व्याख्या की है। दिष्य--पर गुरुजी, उनका कौनसा काम अधिक प्रभावशाली था, जिसके कारण वे सारे महाराष्ट्रमें ऐसे सर्वेप्रिय बन गये ? गुरु--लोगॉपर अधिक प्रभाव तो उनके प्रचार-कार्यका पड़ा, क्‍योंकि महाराष्ट्रके छझगभग सभी प्रधान केन्द्रोंमें उन्होंने एक-एक मठ स्थापित करके, उनमें अपने एक-एक सुशिक्षित शिष्य रख दिये थे। इस ढंगसे सारे महाराष्ट्रमें इनके प्रचार-कार्यदा जालसा बिछ गया। क्योंकि सारे महाराष्ट्रमें इन्होंने ऐसी १४० भरें स्थापित की थीं । शिव्य--इन मठोंमें उनके शिष्य छोग क्या करते थे १ गुङ--ये दलमानजीकी सुकतिकी पूजा-जचैना करते, पासके गांबोंसे वारी-वारी . भिक्षा मग लाते और दिन-रातमें केवर एक वार कुछ - भोजन करके लोगोंको उपदेश .देते थे। प्रत्येक




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now