दशवैकालिक सूत्र | Daishvaikalik Sutra
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
264
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दशवकालिक सूत्र अ० ३ १३
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मूल-जड़, ३७ फले-फल-आम, नीबू आदि, य-ओर ३८ आमह:
बीए-तिलादि सचित्त बीजो का सेवन करना ॥७॥।
सोवच्चले सिधवे लोणे, रोमालोणे य आमए ।
सामुद्दे पंसुखारे य, कालालोणे य आमए ॥८॥।
अन्वयार्थ-- ३९ आमए-सवित्त सोवच्चले-सचल
नमक, ४० सिघधवे छोणें-सैन्धव नमक, ४१ रोमालोणे--
रोमा नमक, ४२ सामुद्दे-समुद्र का नमक, य-और, ४३ पसु खारे-
ऊषर नमक, य-और, ४४ आध्षए-सचित्त, कालालोणे-काला
तमक का सेवन करना ॥८॥
धूबणे त्ति वमणे य, वत्थीकम्म विरेयणे ।
अजणे दंतवण्े य, गायाब्भंगविभूलणे ॥६॥
अन्वयार्थ---४५ धूवर्ण त्ति-अपने वस्त्र आदि को धूप
दे कर सुगन्धित करना, य-ओर, ४६ वमणे-ओऔपधी आदि से
बमन करना, ४७ वत्थीकम्म-मलादि की शुद्धि के लिए बस्ती
कर्म करता, ४८ विरेयणे-जुलाव लेता, ४९ अजणे-आँखो में
अजन लगाना, य-और, ५० दंतवर्ण-दतृन से दाँत.साफ 'करना,
मस्सी आदि लगाना, ५१ गायाब्भंग-सहस्रपाक आदि तेलो से
शरीर की मालिश करना, य-और, ५२ विभसणे-शरीर को
विभूषितं करना ॥९॥ ९, &. ॥
` सव्वमेयमणाष्ण्णं; तिग्गंथाग महेसिणं ।
' संजमस्सि य नुत्ताणं, 'खहुभूधविहारिणं ॥ १०
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