दशवैकालिक सूत्र | Daishvaikalik Sutra

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Daishvaikalik Sutra by रतनलाल डोशी - Ratanlal Doshi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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दशवकालिक सूत्र अ० ३ १३ + । 1 বার दकि ० जः 9 कः ও ওজও গুড ৪টি ৩3 मूल-जड़, ३७ फले-फल-आम, नीबू आदि, य-ओर ३८ आमह: बीए-तिलादि सचित्त बीजो का सेवन करना ॥७॥। सोवच्चले सिधवे लोणे, रोमालोणे य आमए । सामुद्दे पंसुखारे य, कालालोणे य आमए ॥८॥। अन्वयार्थ-- ३९ आमए-सवित्त सोवच्चले-सचल नमक, ४० सिघधवे छोणें-सैन्धव नमक, ४१ रोमालोणे-- रोमा नमक, ४२ सामुद्दे-समुद्र का नमक, य-और, ४३ पसु खारे- ऊषर नमक, य-और, ४४ आध्षए-सचित्त, कालालोणे-काला तमक का सेवन करना ॥८॥ धूबणे त्ति वमणे य, वत्थीकम्म विरेयणे । अजणे दंतवण्े य, गायाब्भंगविभूलणे ॥६॥ अन्वयार्थ---४५ धूवर्ण त्ति-अपने वस्त्र आदि को धूप दे कर सुगन्धित करना, य-ओर, ४६ वमणे-ओऔपधी आदि से बमन करना, ४७ वत्थीकम्म-मलादि की शुद्धि के लिए बस्ती कर्म करता, ४८ विरेयणे-जुलाव लेता, ४९ अजणे-आँखो में अजन लगाना, य-और, ५० दंतवर्ण-दतृन से दाँत.साफ 'करना, मस्सी आदि लगाना, ५१ गायाब्भंग-सहस्रपाक आदि तेलो से शरीर की मालिश करना, य-और, ५२ विभसणे-शरीर को विभूषितं करना ॥९॥ ९, &. ॥ ` सव्वमेयमणाष्ण्णं; तिग्गंथाग महेसिणं । ' संजमस्सि य नुत्ताणं, 'खहुभूधविहारिणं ॥ १०




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