रामभक्ति साहित्य में मधुर उपासना | Ram Bhakti Sahitya me Madhur Upaasna
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14 MB
कुल पष्ठ :
468
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १३)
॥
मे विल्ववृक्ष के नीचे उस एकान्त कमरे में रहकर इस ग्रन्थ का प्रणयन किया! डा० आत्रेय ने
जिस स्नेह के साथ मुज्ञ अपने सत्सग का छाभ दिया, वह आजीवन चिरस्मरणीय रहेगा 1
वन्वुवर डा° राजवर पाण्डेय और डा० रामअवध द्विवेदी ये दोनो ही मेरे सतीर्थ है और इन
दोनो का स्नेह और सहयोग सदा मुझे प्राप्त रहा।
इस ग्रन्थ के प्रकाशन में विहार-राष्ट्रभाषा-परिषद् ने जिस स्नेह और सौहार्द का परिचय
दिया हं, उसे मं कभी भूल नही सकूंगा। यह ग्रन्थ इतना शीघ्र और इतनी सुन्दरता से प्रकाशित
हो सका, इसका सारा श्रेय परिषद् को है । गीता प्रेस (गोरखपुर) ने चित्र छापकर बहुत ही थोड़े
समय में दं दिया, यह् उसकी कृपा ओौर मेरे प्रति अपनापन है ।
इस ग्रन्थ को पूरा कर चुकने पर मुद्रो गगा-स्नान का आनन्द मिला ह । मुझे इस वात की
वडी प्रसन्नता ह कि कल्याणः -सम्पादक पूज्य भाई जी श्री हनुमानप्रसाद पोदार की दुष्ट से यह् न्य
पूत हो चुका हं ओौर परमगुरुदेव ऋषिकल्प महामहोपाध्याय प° श्री गोपीनाथ कविराज जी नें
इसका समर्पण स्वीकार किया हू । मेरा इतना समय भगवान् की छीलाओ के रसास्वादन मे,
सन्तो कं सत्सग मे, ओर उनक अनुभवपूणं ग्रन्थों के अनुशीलन में बीता, इसे मैं अपना परम-
सौभाग्य मानता हूं । सन्त महात्माओ से में यह भीख माँगता हूँ कि भगवान् के चरणों में सदा
मेरी प्रीति बढती रहे ।
/ रसिक सम्प्रदाय की उपासना तथा उसके साहित्य पर हिन्दी में यह प्रथम प्रयास है।
निश्चय ही, अनजान में इसमें अनेक भूलें रह गई होगी। सन्त महात्माओ, विद्वान् समालोचको
तथा साहित्यिक बधुओ से मेरा नम्न निवेदन है कि मेरी भूलों को बतलाने की कृपा करें, ताकि
में अगले सस्करण में उनका परिमाजन कर सकूँ ।
हरि ओ तत्सत् श्रीकृष्णापंणमस्तु
सचिवालय
पटना, जानकी-नवमी भुवनेदवरनाथ मिश्च माधवः
सवत् २०१४ वि०
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