बीकानेर राज्य का इतिहास (दूसरा भाग ) | Bikaner Rajya Ka Itihas (Dusra Bhaag)
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
19 MB
कुल पष्ठ :
592
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about महामहोपाध्याय राय बहादुर पंडित गौरीशंकर हीराचन्द्र ओझा - Mahamahopadhyaya Rai Bahadur Pandit Gaurishankar Hirachand Ojha
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)€
विद्रकदकोप्रारंभसे ही मेरे प्रथो के अवलोकन करने की टि
रही है। मुझे आशा दे कि मेरा बीकानेर राज्य का इतिहास भी उन्हें
उचिप्रद् होगा । यह सवांगपूर्ण है, इसका दाया तो में नहीं कर सकता,
पर इसमें आधुनिक शोध को यथासंभथ स्थान देने का प्रयल्ल किया गया
है | शोध का अत हो गया ऐसा नहीं कद्दा जा सकता। अभी बहुत कुछ
करना बाक़ी है ओर भविष्य में और भी नवीन मदत्वपूरौ दत्त शात होने की
पूरी आशा हद । ऐसी दशा में भी मुझे विश्वास दे कि मेरा यह इतिहास
भावी इतिदास-लेखकों के पथ-प्रदशन में श्रवश्य सद्दायता पहुंचायेगा ।
अुटियां रहना संभव है, क्योंकि भूल मनुष्य मात्र से होती दे और में
इसका अपवाद नहीं हूं । फिर इस समय मेरी वृद्धावस्था भी है। कुछ त्र॒टियों
के लिए शुद्धि-पन्न लगा दिया गया दे, फिर भी ज्ञो अ्शुद्धियां पाठकों की
नज़र में आयें डनकी सूचना मुझे मिलन पर दूसरी आवृत्ति के समय
उतका यथाशक्य सुधार कर दिया जायगा ।
जैसा कि में इस पुस्तक के प्रथम खंड की भूमिका में लिख चुका
हूं यद्द वर्तमान बीकानेर नरेश जेनरल राजराजेश्वर नरेन्द्र शिरोमणि
मदहाराजाधिराज्ञ क्रीमान् मद्दाराज्ञा सर गंगासिदज्ञी साइब बदादुर को
अस्लीम कृप। और इतिद्ास प्रेम का ही फल दे कि यद्द इतिद्ास अपने
बतमान रूप में पाठकों के समक्ष प्रस्तुत है। मुझे इसके प्रययन में जिस
समय जिस सामग्री की आवश्यकता पढ़ी वह अविलम्ब, मुझे प्राप्त हुई ।
में इसके लिए श्रीमानों का घिरकृतक्ष रहंगा। इसी प्रकार में बीकानेर के
खुयोग्य रेबेन्यू मिनिस्टर मेजर मद्दाराज़ मान्धातासिद; सांडवा के स्वामी
मेजर जेनरल सरदार बद्दादुर राजा जीवराजलिंइ; विद्याप्रमी ठाकुर राम-
सिह, पम० ए०; स्वामी नरोत्तमदास, एम० ए्० और बीटदू रिड्मलदान, का
भी अस्यन्त आभारी हं, क्योकि उनले मुभेः सदेव सत्परामशे ओर भोतसा-
इन मिलता रहा दै ।
अत में में काशी-निबासी भीह़द्यनारायण सरीन, बी० ए०, जो गत
छः बर्षों से मेरे सहकारी दें तथा पं० नाथूलाल व्यास का, डिन्दोंने आरंभ
User Reviews
No Reviews | Add Yours...