श्रीरत्नकारणडर्श्रावकाचार | Shreeratnkaarnadrshravkaachar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
22 MB
कुल पष्ठ :
804
श्रेणी :
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No Information available about सदासुखदासजी काशलीवाल - Sadasukhdasji Kaashlival
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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विषय प्र्छ विषय
देशावकाशिक ब्रतमें क्षेत्र... | प्रकारान्तरसे बैयाघ्रतका
की मयादा २३७ | स्वरूप स्श्प
देशावकाशिकमें काल | ब्ाह्मार दान
की मयादा २३७ ; दानका फल २६६
देशाबकाशिककां प्रभाव २३८ ' दानका प्रभाव २७०
देशावकाशिक ब्रतके . दानके चार मंद और
पंचातीचार र३८ '. उनका स्वरूप
सामायिकका स्वरूप श्रौर.... ; दानके योग्य पात्र-्कुपात्र
सामायिकके योग्य स्थान ९३६ | श्र उसका फल... २६६
सामायिककी अन्य : सुपात्र दान करनेबालोंमें
सामग्री र४० :. प्रसिद्ध ३०४
सामायिकमें स्थित यूह- ; वैयाबृत््यमें जिन पूजन का-
स्थ चलोपसूष्ट मुनि- । विधान ३०६
समान है ४८ ! पूजने योग्य नवदेब आर
सामायिकमें चितबन- ।.. द्रब्योंका वर्णन ३०६.
योग्य संसार-मोच- ! कृत्रिम चैत्यालयोंका
रवरूप र४६ | स्वरूप ३२
सामायिकक पंचातीचार २४१ जिनपूजामें प्रसिद्ध मेंडक देर३.
शिक्षात्रत २५२ | वेयात्रतके पंचातीचार हे: ३
ग्रोषघोपवासमें त्यागने । 'अर्दिसारु त्रतकी पंच-
योग्य पदार्थ २४३ . भावना इ्श्छ
उपवासका अथ र५४ । सत्यारुब्रतकी पंचभावना ३३४
|
उफपचासके पंचातीचार ९५५ ! झाचौयांणुघ्रतकी
वेय्यावृत्य शिक्षाज्त ९४५६ ' पंच भावना २३६
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