भारत और कम्बुज | Bharat Aur Kambuj

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Bharat Aur Kambuj by बैजनाथ पुरी - Baijnath Puri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भारत श्रौर कम्बुज ७ लड़ाई में बहुत आदमी मारे गये थे और उसके बाद अशोक के समयमे बौद्ध धमं का बोलवाला था इसलिए कुछ लोगों का विचार है कि पहले कलिग से ही लोगों ने देश से बाहर जाने का प्रयास किया ।* इतना अवध्य कहा जा सकता है कि उपनिवेशों में ब्राह्मगों की सत्ता और वशां-व्यवस्था का स्थापित होना सिद्ध करता है कि यहाँ से पहिले ब्राह्मण धर्मा- वलम्बी बाहर गये और उनके जाने का कारण कदाचित्‌ उनकी सत्ता और ध्म-व्यवस्था पर श्रमण धर्मावलम्बियों का ग्राक्रमगा था । इन भारतीयों ने अपने पुरुपार्थ के बल पर ब्रह्मा, मलय तथा हिन्द-चीन और हिन्दनेशिया में अनेक उपनिवेश स्थापित किये । उन्होंने व्यापार करना नहीं छोड़ा । ईसा से दूसरी दताब्दी पूवं बक्ट्रिया में स्थित प्रसिद्ध चीनी दूत चंग-कियन का कहना है कि वहाँ पर चीनी रेशम ओर बॉस का बना सामान हिन्द-चीन के यूनान और जेह-च्वान में उत्तरी भारत, ग्रौर अफ़गानिस्तान होता हुआ आता था । चीन श्रौर १--ड।० मज़ुमदार के मतानुसार शलेन्द्र राजाओं का उद्गम स्थान कलिग था श्रौर यही से वे मलय द्वीप गये ( देखिये बृहत्तर भारत पत्रिका भाग १, ए० ११-२७) प्रो० नीलकण्ठ शास्त्री ने इसका खण्डन करते हुए लिखा है कि इलेन्द्र दक्षिण के पाण्ड्य देश से बाहर गये । (देखिये मद्रास की प्राच्य सभा की पत्रिका भाग १०, श्रंक २, ४० १६१- २००) कोड के मतानुसार कलिग के घमासान युद्ध के फलस्वरूप भार- तीयों का देश से बाहर जाना विशेषतया महत्त्व नहीं रखता है। (देखिये 'हिन्द-चीन तथा हिन्दनेशिया के हिन्दू राष्ट्र, ० ४१) । २--मजुमदार : कम्बुज देश पृ० ११, स्यामदेश के पोग-टक नामक स्थान में एक युनानी रोमन मिश्रित कला का प्रदीप, जो कदाचित्‌




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