संक्षिप्त विश्व इतिहास पहला भाग | Sankshipta Vishva Itihas [ Part - I ]

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Sankshipta Vishva Itihas [ Part - I ] by अ. ज. मानफ्रेद - A. J. Maanfred

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मिट्टी की चीजे बनाने मे अपने समय का एक भाग लगाना वद कर दिया, तो इसके साथ एक और श्रम विभाजन हुआ। इस युग वी एक सबसे महत्वपूर्ण घटना निजी सपत्ति की शुरूआत थी। निजी सपत्ति के सर्वप्रथम रूप पशु और दास , अर्थात गुलाम बनाये कैदी थे। धीरे धीरे जमीन निजी सपत्ति का एक और तथा सवसे महत्वपूर्ण रूपो मे एक बन गयी , क्योकि वह समस्त निर्वाह साधनों के मूल वी प्रतीक थी। और इसवे साथ ही जमीन को काश्त करने के औजार भी निजी सपत्ति बन गये। इससे सापत्तिव सवधो पर आधारित असमानता पैदा हुई ओौर अव स्वततर लोगो तथा गुलामों के सवर्गों के साथ-साथ धनी और निर्धन वे नये सवर्ग भी उत्पन्न हो गये} जल्दी ही वेप परिवार या व्यक्ति जमीन वे सबसे बढ़िया हिस्सो था पशुओं के सबसे बडे रेवडो के स्वामी बन बैठे, जब कि अन्य परिवार अधिकाधिक निर्धन होते गये ओर क्गाल वन गये। विभिन्न गोमौ वै भीतर एक प्रकार का अभिजात वग प्रतीयमान होन लगा, अर्थात वे लोग, जिनवे पास धन दौलत और सत्ता थी। इस अभिजात वर्ग से जनो या क्वीलो वै नैताओ भौर ज्य॑प्टजन परिषदो के सदस्यो का उदय हमा । मानव समाज वै विकास की इस अवस्या मे मोत सवधो की भूमिका क्म महत्वे की होने लगी ओर धीर-धीरे उनकी जगह स्थान-सामीप्य पर आधारित मवध , अर्थात उसी इलाके मे ररहनेवाते लोगो के वीच सवध लेने लगे। जव गोनाधारित समुदाय विघटन की ्रक्रिया मे था, तो प्रादेशिक समुदाय प्रस्पुटित हौ पडे। वे सदियो तक अस्तित्वमान वने रहै ओर कई जगहो पर तौ वे ठेठ वीसवी सदी के आरभ तक भी विद्यमान थे, जैसे भारत ओर कातिपूर्वं स्स मे। वर्गो आर राज्यो की उत्पत्ति मनुष्य के प्राविधिक साजसामान के विकास निजी सपत्ति के उदय और अतत दासप्रथा के प्रसार के फलस्वरूप समाज भिन्न भिन्न सामाजिक हैसियत रखनेवाले बडे बडे समूहो मे विभाजित हो गया। समाज में ऐसे लोग थे, जिनके पास जमीन, औजार और गुलाम थे, मगर जो खुद कोई काम नही करते थे ओर ऐसे भी लोग थे कि जो अपनी गुजर अपने ही श्रम से क्या क्रते थे-चाहे ऐसे कि जिनका अपने श्रम उपकरणो पर स्वामित्व था ( किसान और दस्तकार ) और चाहे ऐसे कि जिनका किसी भी चीज पर स्वामित्व नही था और जिन्ह गुलामो की हैसियत से अपने मालिकों के लिए काम करना पड़ता था। इतनी अधिक भिन्न-भिन्न सामाजिक स्थिति रखनेवाने ये बड़े बडे समूह वर्गों के नाम से विचात हुए। 2-352 9७




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