पर्यावरण व जैव प्रौद्योगिकी | Paryavaran V Jaiv Praudyogiki

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Paryavaran V Jaiv Praudyogiki by प्रवीण चन्द्र - Praveen Chandraमंजु शर्मा - Manju Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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17 पादपे पारिस्वितिकी तीन प्रकार की वर्षा की स्थिति होती है--(1) नीचे के भाग में बहुत कम (४) बीच के भाग में काफी और ऊपर के भाग में जो बादलों की ऊँचाई से ऊपर होता है, बर्फ जमी होती है। पहाड़ों की ऊँचाई के अनुसार वर्षा की मात्रा, ताप आदि का वनस्पति पर प्रभाव पड़ता है। हवा की आर्द्रवा या वायुमंडलीय नमी (पप्तं त॑ भ्राए था 4वा105छाटापे९ णोप) अदृश्य वाष्प के रूप मे वायुमंडल कौ नेमी को आर्द्रता कहते हैं। यह सामान्यतः अपिभ्षिक आर्ता (धक॑पण्ट ्ण्ण्णक़) के सूप में दर्शायी जाती है। यह किसी दिये हुए ताप पर वास्तविक आर्दता ओर संवृप्त स्थिति की आर्दता के अनुपात का प्रतिशत होती है। किसी विशिष्ट ताप व दाब पर जितना संभव उतनी नमी यदि वायु में है तो यह संतृप्त (७०।५८३॥९त्‌) अवस्था कहलाती है । तप ओर दाब के परिवर्तन से संतृप्त्‌ अवस्था में परिवर्तन होता है। पोधे के जीवन के लिए आर्द्रता का एक महत्त्वपूर्ण प्रभाव होता है। वाष्पोत्सर्जन, अवशोषण जेसी प्रक्रियाओं पर आर्दता का सीधा प्रभाव पडता है । अधिक अपिक्षिक आर्द्रता वाले स्थानों में हो उगने वाल पो्थों को आर्द्रतोंदूभिद्‌ (01587007555) कहते दै । जबकि कम अपेश्चिक आर्द्रता वाले स्थानो पर उगने वाले ध म वापपोत्सर्जन योकेने के लिए अनेक प्रकार के परिवर्तन (०तभुग05) मिलते | वायुमण्डलीय भैस (6०7८८ (8955) पृथ्वी सतह से करीब 300 कि. मी. ऊँचाई तक कुछ गैसें मिलती हैं। लेकिन वायुमंडल की कुल वायु का 95% भाग केवल सतह से 20 किमी. ऊँचाई तक मिलता है। यही भाग मोसम को प्रभावित करता है तथा पौधों पर भरी प्रभाव डालता है। वायु में मुख्य रूप से नाइट्रोजन, ऑक्सीजन क़ार्बन-डाईऑक्साइड तथा अन्य गैस होती है । इनके अलावा वाष्प, धूलकण, धुँआ व कारखानों से निकलने वाली विभिन गेसें भी होती हैं। परागकण, कवक स्पोर, सूक्ष्मजीव भी वायु में निलंबित अवस्था में मिलते हैं । নাহবহীলল (১) वायु के आयतन का 78% ऑक्सीजन (0,) वायु के आयतन का 21% ऑर्गन वायु के आयतन का 1% कार्बन डाइओक्साइढ (202) वायु के आयतन का 0.03 हाईदोजन (72) वायु के आयतन, का 0.00006% আঁজীন वायु के आयतन का 0.000004% जल बाण (प्र0) वायु के आयतन का 0.1-0% कार्बन डाई ऑक्साइड, नाइट्रोजन, ऑक्सीजन आदि गैसें प्रकृति में चक्रीय (८7८४०) अवस्था में रहती हैं। वायु-गति (४शप-शधण्ल्) । . बहती हुई हवा को वायु (शष्ठ) कहते हैं। यह एक महत्त्वपूर्ण वायुमंडलीय कारक है। मैदानी भागों, समुद्री किनारे और पहाड़ों की ऊँचाई पर वायु की गति का




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