प्रास - पुंज | Praas Punj
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
244
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)निज निर्णय १२
नीर। वीर] तीरा चीर | জাহির श्र श्यायी ओर म्, व्,
तू, चू, परिवर्तनशीलहैं। नल] दल। जल में न, ज, द,
परिवर्ततीय और छकार खायी है। अमलके साथ विमरलकों
प्रस करना अशुद्ध है,
क्योंकि इसमें “शायगां ' नामका दोष्र आ पड़ा हैं 'मर! शब्द
रोनोंमें एकही अर्थ वाला है (विशेष दोषके बयानमें: देखिये ) हां
ऊमल-अमल प्रास शुद्ध है. क्योंकि यहां 'मल? एकही अथमें नहीं
है। कमल +जलफो भी धार कर सकते है क्योंकि लकारके पूर्च
रोनोंमें अकार है। कमर-+विमल भी प्रास हो सकेगा इनमें
रीनों जगह भकः होते हए भी एकौ अथं नदीं है कमर एकही
एष्व् है, विमरु चि उपसगं पूर्वक मर .मिधित ই तो यहां ख्कार-
१ पूवं अकार हीसे प्रयोजन है मलके पूर्व ( अ, इ ) से नही
तात्पयं यह कि-
स्थायी अंशके पूवे जो खर हो उसे
बदलना न चाहिये
यद्यपि इसके विरूद्ध उस्तादोंके कलाममें स्थायो अ'शके पूर्व
घर बदल जानेकी मिसादें मौजूद है
करते द्वो शिकवा तुम सुहागके वक्त ।
मैरवी गाते हो बिहागके वक्त ॥ ८ दागर-यादगारेदारा)
„ अकद्रे इनर जस्त वायद् महल
बुलन्दीय नहसी मजो चं जहर (सादी--वीस्तां)
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