आधुनिक भारत में समाजवादी विचारधारा | Adhunik Bharat Me Samajvadi Vichardhara
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
36 MB
कुल पष्ठ :
305
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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सरस्वती ने बिहार तथा उत्तर प्रदेश के किसानो मे घरूम-घूमकर देश की स्वाधीनता ओर आर्थिक
शोषण से मुक्ति के लिये ज्वाला धधकाई। सन् 1930 ई मे उन्होने किसान सभाओ' की
स्थापना की जिन्होने भविष्य मे स्थापित होने वाले काप्रेख समाजवादी दल' के आधार का
कार्य किया।
भारतीय राष्ट्रीय काग्रेस के अन्दर वामपथी का उदय, समाजवाद के विकास मे, एक
महत्वपूर्ण घटना थी। वास्तव मे यह, सोवियत सघ की प्रगति, विश्च के अन्य देशो के
साम्राज्यवाद-विरोधी एव रा्ठीय मुविति आन्दोलन, देश की बिगड़ती आर्थिक स्थिति, बढता
हआ साग्राज्यवादी शोषण, मजदूर किसानो तथा कम्युनिस्ट आन्दोलन की वृद्धि का परिणाम
था। सन् 1926-27 ई. के यूरोप के दौरे ने पनेहरू को नए विचार दिये। सन् 1927 ई मे
उन्होने पराधीन देशो की ब्रुसेल्स काग्रेस मे भारतीय राष्टीय काग्रेस का प्रतिनिधित्व किया था।
ब्रसेल्स कामस ने साम्राज्यवाद् विरोधी सघ (68006 ^421151 110९12॥)) की स्थापना की
थी। सन् 1927 ई मेदहीनेहरूजीने रूस का भी दौरा किया। स्वभावतः वामपन्थी विचारो
का उन पर् प्रभाव पड़ा ओर उन्हे भारत की समस्याओ का समाधान समाजवाद मे ही दिखा,
सन् 1934 ई मे काग्रेस समाजवादी टल का जन्म हुआ। इसे वामपथी सुधारवाद्
का नाम दिया गया। परन्तु इससे पूर्व ही काग्रेसियो के जेल अध्ययन मे भारतीय
समाजवाद का बीज पडा इस समाजवादी आन्दोलन के बीज को पोषित करने वालो
मे सर्वप्रथम जय प्रकाश नारायण, अच्युत पटवर्धन, एम एम. जोशी, अशोक मेहता,
मीनू मसानी, तथा एम.-एल. टन्तवाला थे। वास्तव मे सन् 1932 ई मे नासिक जेल मे
ही समाजवादी दल की नीव पड़ चुकी थी“ सन् 1934 ई. मे, स्वाधीनता की प्राप्ति
ओर तत्पश्चात् समाजवाद की स्थापना-यह ध्येय लेकर काग्रेस समाजवादी दल अवतीर्ण
हआ। इसी वर्ष फरवरी माह मे काग्रेस समाजवादी दल का पटना मे प्रथम अधिवेशन
आचार्य नरेन्द्र देव की अध्यक्षता मे हुआ। इन समाजवादियो के मतानुसार भी काग्रेसमे
पूंजीवादी विचारधारा का प्राधान्य था तथा गोधीवाद ओर काग्रेस समाजवाद एक ही
विचारधारा के दो रूप थे। समाजवादियो के मत मे काग्रेस समाजवादी दल जनता मे
विद्रोह की भावना का विकास न करके उनकी समस्याओं के समाधान का हल शाति
पूर्वक करना चाहती थी। स्वतत्रता प्राप्ति के पूर्वं तक समाजवादी भी काग्रेस के साथ
सयुक्त होकर राष्ट्रीय स्वतत्रता आन्दोलन मे सक्रिय रहे। स्वतत्रता प्राप्ति के पश्चात्,
विचार-भिन्नता के कारण सन् 1948 ई. मे समाजवादी दल कामस से अलग हो गया
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