भारतीय जीवन और संस्कृति | Bharatiya Jivan Or Sanskriti
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
275
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about शम्भुनाथ पांडेय - shambhunath Pandey
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भारतीय संस्कृति
भारतीय संस्कृति की झाँकी हमें भारत के महिमामय भूगोल, दशन, धमे,
संतों की प्यार भरी, क्ितू क्रांतिकारी वाणी, लोकपर्व, लोकसंगीत और लोक-
साहित्य में मिलती है। अथवा यह कहना चाहिए कि इनका समन्वित रूप ही भारतीय
संस्कृति ই?
इस संस्कृति के विकास में जितना उत्तरापय का योगदान है उतना ही दक्षिणा-
पथ का और उतना ही अरण्यवासी जन-जातियों का। भारतीय संस्कृति के विकास
में आर्य, द्रविड, यक्ष, नाम, किन्नर, शक, हुण, आभीर, गुर्जर, जाट, पारसीय, पठान,
मुसलमान, ईसाइयों आदि सब का योगदात है । भारतीय जीवन वस्तुतः एक
मिला-जूला परिवार है जिसका प्रत्येक सदस्य अपनी विशिष्दता को बिना खोए,
समप्टिगत एकता की श्री-वृद्धि करता है । जीवन के श्रति समस्वयकारी उदारः
दृष्टि, सहिष्णुता और जीओ तथा जीने दो के सिद्धांत भारतीय संस्कृति की प्रमुख
विशेषताएं हैं ।
भानव-संस्कृतियों की महान धाराएँ मूल भारतीय संस्कृति की जाह नवी में
आकर मिलती रहती है, उसे गति तथा नवजीवन प्रदान करती रहती हैं। जड़ता
और रूढ़िवादिता का शैवाल नवीन सांस्कृतिक विचार धाराओं से छाँटता रहा है।
इसीलिए उसका प्रवाहु न तो कभी टूटा है और व बह गड्ढे में भरे जल के समान
स्थिर अथवा गतिहीन हुआ है। आज भी वह् संक्रांति के दौर से गुजर रही है और अपने
आप को समयानुकूल बनाने की दिशा में प्रथत्नशील है।
भारत की एकता को बनाने में जितना योग इतिहास ने दिया है उसको स्थिर
बनाने मे उतना ही योग यहाँ के भूगोल का भी रहा है। उत्तर में अजेय हिमबान
और तीन ओर से गंभीर सागर से घिरा रहने के परिणामस्वरूप भारतीय प्रायद्वीप
अपनी सांस्कृतिक एकता को मज़बूत करने में सफल हो सका है। समय-समय पर
दुर्दात समूहों के भारत पर आक्रमण हुए, कितु सप्तर्तिधु की निर्मल धाराओं में
'निमज्जन करने के पश्चात् वे समूह भारतीय महा जीवन में घुलमिल कर एकमेल
हो गए । भारत की मिट्टी, यहाँ का अन्न-जल, यहाँ का वातावरण कुछ ऐसा प्रभावकारी
है कि यहाँ जो आया वह यहीं का हो गया । ॥
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