छायातप | Chaaya Tap

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ज्ञीना दिखाई दिया...1..-जासृत जेट गया... और एक सवार घोड़ा दौड़ाता हुआ निकल गया...। जासूस ने ध्यान से देखा ...। সহ ৯ ओर इसी प्रकार कहानियाँ चलती रहतीं हैं | एक घटना के बाद दूसरी घटना लड़के के मन को खींचती हुई आगे बढ़ती जाती हे--और वह स्वयं ही इन घटनाओं से घिरता जाता है | लडका वदता जाता हे--और अब वह किशोर हो रहा है--उसे अपनेपन का भान अधिक स्पष्ट रूप से होता जाता है। उसे लगता है जैसे 'मैं? हूँ | इन पिछली कहानियों में उसका 'में? छिपे रूप में विकसित हो रहा था--पर अब उसका भें? अ्धिक व्यक्त स्पष्ट होता जाता है | सारे विचित्र वातावरण ओर घटनाओं के बीच में लड़का अपने को अधिक महत्वपूण पाता है। उसके मन में सभी चीज़ों को सभी सीमाओं को अतिक्रमण करने की भावना प्रवल् होती जाती है। और उसका भ्यैः श्रव वीर है, एक अपराजेय योधा है जो अपने चारों ओर कठिनाइयों का निर्माण करके उन पर विजय प्राप्त करना चाहता है। अब किशोर होते लड़के को वीरता की कहानियों का अ्रधिक मोह है| पिछली कहानियों में भी वीरता का रूप था | पर उनमें वह चारित्र, वातावरण श्रौर घटनाओं से अधिक घिरा हुआ था । > नेह अब वह पढ़ता है| राजकुमारी किसी गढ़ में बंदी है--राजकुमार शत्र ओ से घिरा हुआ है।...राजकुमार भटक कर छिंपता हुआ बीहड़ जंगल में घूम रहा है...।...कोई वीर शरक ही अनेक शन श्रा को पराजित करता है .. फिर वह अपने वेश से निकाला हुआ घूमता फिरता है ...।...थोघा किसी अज्ञात सुन्दरी राजकुमारी की रक्षा करता है...। # সঃ নু ঘৃনা है...और उसे लगता है जैसे वह स्वयं ही सब करता




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