अन्तज्र्वाला | Antarjawarla

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Antarjawarla by चन्द्रगुप्त विध्यालंकर - Chandragupt Vidhyalankarलाला हरदयाल - Lala Hardayalवीर सावरकर - Veer Savarkar

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चन्द्रगुप्त विध्यालंकर - Chandragupt Vidhyalankar

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लाला हरदयाल - Lala Hardayal

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वीर सावरकर - Veer Savarkar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ओंकार में परमेश्वर, हिमालय में केदारनाथ, डाकिनी में भीमशंकर, वाराणसी में विश्वनाथ, गोतमी नदी पर व््यस्बक, चिताभूमि में वद्यनाथ, दारकावन में नागेश, संतुबन्ध में रामेश्वरम तथा शिवालय में घुश्मेश-ये बारह ज्योतिलिज्ञ केदास्नावथ से लेकर रामेश्वरम्‌ तक तथा सोमनाथ से लेकर वदचलय्यचाथ तक फले हुए हैं। सप्तपुरियों) को लीजिये | अयोध्या, मथुग, माया, काशी, कांची, अवन्तिका ओर द्वारिका-ये सात पुरियां हैं । ये भी सारे मारत को चेरे हुए है । शङ्कराचाय्यं मालावार में पदा द्रुण, परन्तु उन्होंने अपने सिद्धान्त के प्रचाराथ चार मठ* भारत के चार कोनों पर स्थापित किये । चार मठ ओर चार घास? भारत की एकता का उज्ज्वल प्रमाण देते हे । सब हिन्दुओं का पिनर-नपंग गया मं ओर मातृ-तर्पण सिद्धपुर में होता है । क्या यह बात यह नहीं बताती कि भारत एक देश है ? क्या एकता की यह्‌ आधार्शिला अंग्रेज़ी शासन ने रक्खी है ? क्‍या अंग्रेजों के आगमन से पृ्व हिन्दू लोग भारत को एक देश न मानते थे ? पश्चिम की आंख से देखने वालों को में गवंपू्वक कहूंगा कि सिश्र के पिशमिड, बैबि- लोन का टॉवर, चीन की दीवार, सॉलोमन का मन्दिर और पीटर का गिर्जञाधर बनने से कहीं पूवं भारतीय विचारकों ने सात नदी सात पबत ओर सात पुरी के रूप में भारतीय एकता का निर्माण १, अंयोध्या मथुरा माया काशी काउची अबन्तिका | पुरी द्वारवती चेव सपैताः मोचदायिका: ॥ २. द्वारिका में शारदा मठ, जगन्नाथ में गोवर्धन मठ, बद्रीनाथ में जोशी मठ और मैसूर में “श्गेरी मठ | ३. द्वारिका, जगन्नाथ, श्रोर जद्वीनाथ भ्रौर रामेश्वरम्‌ । दस




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