उड़ते चलो : उड़ते चलो | Udte Chalo : Udte Chalo
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
308
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ७ )
पमिस इन्डिया! जामक पतिका निकालते हैं। शान्त चेहरा:
লন स्वभाव | सुबद्माण्यम मद्रासी हैं, तेलगु के नामी लेखक !
धड़क्ले से बोले जा रहे
आर, উই জাল हैं, मेरे दो आत्मीय--शिवाजी और
उनकी पत्नी शीला । जब सुझे निमंत्रण मिला, शिवाजी मे भी
साथ देने की इच्छा प्रकट की । मैने मसानी को लिखा और
बह भी श्रतिनिधि दी होसियत से जा रहे हैं। उनकी पत्नी शीला
ने उनका साथ देकर विहकुज्ञ घरेलू वातावरण बना दिया हैं !
प्लेन उड़ा जा रहा है। हम संब्या को चले है, नीचै
समुद्र छहरा रहा है; ऊपर हम आगे बढ़े जा रहे ह-- अपनी
মানুপুমি উ ভূত! कितनी. दू 7--असी कप्तान का सूचना-
पत्रक नहीं मिला है ।
वम्बई में दो दिन रहा, वहाँ के मित्रों के चेहरे और स्वागत-
सत्कार के दृश्य आँखों के सामने धूम रहे है ।
घम्बह स्टेशन पर उतरकर जब वाहर हो रहा था, इस
काँग्रेस की भारतीय शाखा के श्री बरखेदकर मिले। उन्होंने
मैरी क्रोटबाली तस्वीर देखी थी, अतः हिचकिचा रहे थे, किन्तु
मेरे मोटे चश्मे ने उनकी मिकक दूर की। उन्होंने मसानी
का सलाम कहा, किन्तु में तो पहले से ही वय कर चुका था,
में प्रध्यीराजजी के साथ ठहरूँगा। अतः सीधे লাই]...
पृथ्यीराजजी, उत्तकी शमपत्नी रमाज़ी, बेठे शी और
शशि और बेटी उम्ती के स्नेह से अब भी. अमभिमत हो. रहा हूँ.)
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