हिचकियाँ | Hichkiyan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
148
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)छभनन्द पुरः
दिनाङ्क १ नुन, १६५५
प्रिय एवं जीकन के सब कुटु ? 1
राज दैटा तो था कुछ पढ़ने, किन्तु पद
क सीन खक । यदौ वरू छि कोर पुस्तक भि
नहीं उठाई । कुछ समय तक यों ही वैटा रदा ।
फिर कुछ” पद़ा--किन्तु परितोष नही खका।
उसे भी एक ओर पटक दिया | छुत की कड़ियों
पर दृष्टि जमा कर सोचता रहा छं देर पक |
অন फिर “बटा' की याद आ गई | 'अपना-पराया?
किताबों में उल्लाश किया; किन्तु, दुर्भाग्य से वह
मिला की नहीं । दब एकाएक “बहूजी' सामने
आ गई ---उन्हें भी कुछ समय तक देखा; किन्तु
सम्तोष वहाँ पर भी ७ मिज्ष सका--बहाँ पर भी
आात्र अनुताप एवं करुखा से रँगे पृष्ठो को देखा ।
बेदना दब ओर भी बढ़ी। सन कुल्लू छुब्घ सा
हो गया। दुःख हृदय के बाँध को বুদ
चाहर निकलने छ प्रयास कर्वे णा ¦ तच सोचा
कि इस दुःख को भावना के জ্বীন में कागज `
पर क्यों बहा दिया जाय! शौर धस, तमी
पत्र लिखने की सूक उत्पन्न हो गई । .
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