वाल्मीकि रामायण एवं जानकी जीवनं का काव्य शास्त्रीय तुलनात्मक अध्ययन | Valmeki Ramayan Avam Janki Jeevanam Ke Kavya Shastreeya Tulnatmak Adhyyan

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Book Image : वाल्मीकि रामायण एवं जानकी जीवनं का काव्य शास्त्रीय तुलनात्मक अध्ययन  - Valmeki Ramayan Avam Janki Jeevanam Ke Kavya Shastreeya Tulnatmak Adhyyan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पूर्वक दर्णन किया गया है। पद्म पुराण (षोड़श शती ई०)- पद्म पुराण के निम्नांकित तीन प्रसंगो में रामकथा का वर्णन किया गया है- 1. पद्म पुराण के प्रथम खण्ड-सुष्टि खण्ड में शम्बूक वध का वर्णन। 2. पद्म पुराण के पंचम खण्ड-पाताल खण्ड में रावण वध के प्रायश्चित हेतु श्रीराम के द्वारा अश्वमेघ यज्ञ के आयोजन का वर्णन। 3. पद्म पुराण के षष्ठ खण्ड-उत्तर खण्ड मँ सम्पूर्णं रामकथा का विस्तृत वर्णन । अध्यात्म रामायण (चतुर्दश शती)- अध्यात्म रामायण के वक्‍ता और श्रोता क्रमशः शिव और पार्वती हैं। इस रामायण में रामचरित का वर्णन करते हुये भक्ति, ज्ञान, उपासना, नीति ओर सदाचार सम्बन्धी दिव्य उपदेश दिये गये हैं। इसमें भगवान राम की विविध कथाओं का उल्लेख होने पर भी अध्यात्म तत्व की ही प्रधानता है, इसलिये यह रामायण के नाम से प्रसिद्ध हे। अध्यात्म रामायण मं कहा गया है कि श्रीराम चिन्मय ओर अविनाशी ह। वे विश्व की स्थिति ओर लय के कारक है। विश्वोद्‌भवस्थितिलयादिषु ठेतुमेक । (अध्यात्म रामायण 1/1/2) उन्होंने देवताओं की प्रार्थना स्वीकार कर पृथ्वी का भार उतारने के लिये अवतार धारण किया था। यः पृथिवीभर वारणाय दितिजेः संपूर्थितश्विन्मयः | संजातः पृथिवीतले रविकुले माया मनुपयो5व्ययः || अघ्यात्म रामायण 1/1/1) वे साक्षात्‌ अद्वितीय सच्चविदानन्द धन है।. रामं विद्धि परंब्रह्म सच्चिदानन्दमद्बयम्‌। अध्यात्म रामायण 1/1/32 ओर सीता संसार की उत्पत्ति, स्थिति ओर प्रलय करने वाली भगवान की मूल प्रकृति ` मां विद्धि मूलप्रकूतिं सर्गस्थित्यन्त कारिणीम्‌ | तस्य स्त्रिधिमात्रेण सृनामीदमतन्दरिता।। अध्यात्म रामायण 01/1/34 ` रावणादि रक्षसो के अत्याचारं से पीडित गो रूपी पृथ्वी এসি হাউজ




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