आत्मानुशासन | Aatmanushasan

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Book Image : आत्मानुशासन  - Aatmanushasan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अस्तावना १ प्रसि परिचय १ ज॒०, यह प्रति श्री दि० जैन मन्दिर आदर्श-नगर जयपुरकी है। हस्त- लिखित प्रतियोंमें यही एक ऐसी प्रति है जिसके आधारसे प्रस्तुत संस्करणकी भाषा टीकाका संशोधन किया गया है। इस प्रतिके प्रत्येक पत्रकी छम्बाई १०३ इंच और चौड़ाई ४३ इंचसे कुछ अधिक है। पत्र संख्या १६७ पूर्ण और १६८ संख्याक पत्रमें ४ पंक्तिसे किचितु अधिक हैं। प्रत्येक पत्रके एक ओर ५ पंक्तियाँ और प्रति पंक्तिमें कमसे कम २८-३५ अक्षर और अधिकसे अधिक ४३-४४ अक्षर हैं। फिर भी अधिक अक्षर कम ही पंक्तियोंमें पाये जाते हैं । चारों ओर हाँसिया छोड़ा गया है । प्रत्येक पद्यकी उत्थानिका और पदय' शब्दके लिये रार स्याहीका उपयोग किया गया है। तथा अर्थ' इस शब्दकों लिखनेमें भी लाल स्याहीका उपयोग किया गया है। प्रथम पत्नका प्रारम्भ ॥एदं०। ओं नमः सिद्धेम्य:' इस मंगल वाक्यकों छिखकर किया गया है । अन्तिम पत्रमें अन्तिम पद्चका अर्थ और ।इति श्री आत्मानुशासन ग्रन्थ संपूर्ण ॥ ॥ यह्‌ वाक्य भी लाल स्याहीमें लिखा गया है। प्रति सुवाच्य है। यह प्रति कब, किसके द्वारा और किस निमित्तसे लिपिबद्ध की गई इन बातोंका उल्लेख करते हुए भन्तमें लिखा है--संवत्‌ १८३५ प्रवत्तमाने मासोत्तमासे भाद्रपदमासे शुक्लपक्षे १३ चंद्र वासुरान्वितायां लिपिकृतं नयनसुल ब्राह्मण बृधू ध्याह वाचनाथे ॥ थुभभस्तु ॥ चिरायुरस्तु ॥ छ ॥ छ ॥ ॥ हम यही एक ऐसी प्रति उपलब्ध कर सके जिसमें आ० क० पं० श्री टोडरमल्लजी द्वारा रचित भाषा टीका भी सम्मिलित है। इसलिये पुरानी मुद्रित प्रतिसे मिलान करनेमें हमें इससे बड़ी सहायता मिली है। अतः हम यहाँ उस मुद्रित प्रतिका भी परिचय दे रहे हैं जिसके आधारसे हमने यथा- सम्भवं भाषा टीकासस्बन्धी पाठमेद लेकर प्रस्तुत संस्करणको पूर्ण शुद्ध बनानेका प्रयत्न किया है। परिचय इस प्रकार है-- (२) मु०, यह प्रति हमें प्रिय भाई १० श्री हीरालाऊजी गंगवारूकी माफ श्रीयुक्त भाई पूनमचंदजी छावड़ा मल्हारगंज गांधीमागं इन्दौरसे प्राप्त हुईं थी । प्रतिका आकार डबलक्राउन साईज १६ पेजी है। कुछ पृष्ठ संख्या २७८ है । इसका प्रकाशन श्रुतपंचमी वी० निर संर २४५२ कौ




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