साहित्य और संस्कृत | Sahitya Aur Sanskriti

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Sahitya Aur Sanskriti by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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९ [ आगम साहित्य : एक पयचेक्षण ( १) भचार (२) सूव्कृत (३) स्थान (४) समवाय (५) भगवती ( ६ ) ज्ञाता धर्मकथा ( ७ ) उपासक दशा (८ ) अन्तङद्‌ ( ९ ) मनृत्तरोपपातिक ( १० ) प्ररलव्याकरण ( ११) विपाक गौर (१२) दृष्टि वाद | ये बारह अंग हैं । आचार प्रभृति आगम श्रुत-पुरुष के भद्धस्थानीय होने से भी अद्भ कह- लाते हैं? । वेदिक परम्परा में वेद के बर्थ मे अद्भ शब्द व्यवहृत नहीं हुआ है अपितु वेद के अध्ययन में जो सहायक ग्रथ है, उनको अग॒ कहा गया हैं ओर वे छह है -- े ( १ ) शिक्षा-शव्दोच्चारण के विधान का प्ररूपक ग्रन्थ । ( २ ) कल्प--वेद-निरूपित कर्मो का ययावस्थित प्रतिपादन करने वाला ग्रन्थ । ( ३ ) व्याकरण--पद-स्वरूप, और पदार्थ निश्चय का वर्णन करने वाला ग्रन्थ । ८ 8 ) निरुक्त--पदो की व्युत्पत्ति का वर्णन करने वाला ग्रन्थ । ( ५ ) छन्दू--मन्त्रो का उच्चारण किस स्वर॒विज्ञान से करना, इसका निरूपण करने वाला ग्रन्थ । ( ६ ) ज्योतिष--यज्ञ-याग आदि छत्यो के लिए समय शुद्धि को बताने बताने वाला ग्रन्थ । बौद्ध साहित्य के मूल ग्रन्थ त्रिपिटक माने जाति हूँ किन्तु उनके साथ अं शव्द का प्रयोग नही हुआ है । किन्तु पालि-स्हित्य में बुद्ध के वचनो को नवाग3 ओर दादश्ाग° अवश्य ही कहा गया हँ । नवाद्ख दष प्रकार ह - १ मूलाराघना ४।५९९ विजयोदया । २. पाणिनीय शिक्षा--४१, १२ ३ सद्धमंपृण्डरीक सूत्र, २ ३४, [ डाक्टर चलित्राक्ष दत्त का देवनागरी संस्करण, राय एशियाटिक सोप्तायटी कलकत्ता सन्‌ १९५३ ] ४ सूत्र गेय व्याकरण, गाथोदनावदानकम्‌ 1 इतिवृत्तकं निदान, वपुल्यं च सजातकम्‌ । उपदेशाद्भुतो धर्मो, हादशागमिद वच ॥ --वौद्ध सस्करृत ग्रन्थ, अभमि्षमयारक्रार को टोका--पृ. ३५




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