जय अमरनाथ | Jay Amarnath

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काका कालेलकर - Kaka Kalelkar

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यशपाल जैन - Yashpal Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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হালা জী আীরলা १३ . ५ सितम्बर को तीसरे पहर क्गभग ४ वजे श्रीनगर पहुचे । वस कं अड्डे पर ज्योही गाड़ी रुकी कि होटक জীব हाउसवोटवालों ने घेर लिया । लगे शोर मचाने । हम लोगों ने उस ओर ध्यान नही दिया ओर अपना सामान संभालने लगे। हममें से एक साथी होटल और हाउसवोट देखने गये। ठहरने की व्यवस्था कहां की जाय, यह एक समस्या थी। जिनको सूचना दी थी, उनमें से कोई भी बस के अड्डे पर नही आया था, इससे चिन्ता हुईं। आखिर काफी पशोपेश और भागदौड़ के वाद हम लोग गोगजीबाग मे श्रीमती कृणा मेहता के यहां पहुचे । इन वहन कं पति मुजप्फरावाद के गवर्नर थे ओौर জন कवाइलियों का काइमीर पर आक्रमण हुआ तो उसकी रक्षा करते हुए वह शहीद हो गये | कृष्णावहन अब वहां वीमेस रिलीफ केन्द्र का संचालन कर रही हे। वह कई वार काशमीर आने का आग्रह कर चुकी थी । क्ृष्णावहन के यहां सामान रखकर जान-में-जान आईं। एक रात रेल में और दो दिन वस में गुजरें थे। इससे शरीर बड़ा थका-सा था। सामान व्यवस्थित रखकर खूब नहाये और जरू-पान किया | नई जगह थी, मौसम सुहावना था । घूमने निकल पड़े । श्रीनगर काइमीर की राजघानी हं । यही से लोम कादभीरके विभिन्न दरनीय स्यानों की यात्रा करते हं । : २: यात्रा की योजना रात को दस बजे तक खूब घूमे। शिकारे में बैठकर झेलम की सेर्‌ की, वाजार में घूमे, गांधी आश्रम के व्यवस्थापक श्री रामसुमेरभाई के यहां मिलने गये | वे कही बाहर गये हुए थे ।




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