हिंदी रीति-परम्परा के प्रमुख अर्चार्य | Hindi Reeti Prampara Ke Pramukh Acharya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( २१५. ) [कुलपति से पूर्व--जसवन्त्तिंद, मतिराम, और भूषण । कुलपति--घारणाएँ; आधार; प्रकार; चूची श्रोर क्रम; मेद; स्वरूप--शब्दालंकार, श्र थालंकार; उपसंहार | (३) सोमनाथ का अ्रलंकार-निरूपण सोमनाथ से पूर्व--देव | ६८५ सोमनाथ--धा रण; यूची, मेद; स्वरूप--शब्दालकार; श्रर्थालंकार; उपसंदार] (४) मिखारीदास का अलकार-निरूपण ६६८ [धारणाएँ, शब्दालकार--सुची, समीक्षा, स्वरूप, चित्र ग्रलकार, तुक, श्र्थालंकार-त गवस्‌ ची, वर्गकिर्ण की समीक्षा, भेद, स्वरूप : (क) सक्षिस्त निरूपण (ख) विस्तृत निरूपण---ल्लोत, स्वरूप--निरूपण-शैली, नवीनता और मोलिक्ता, प्रध्या, उदादर्ण, उपसंहार] (५) प्रतापसाहि का अलंकार-निरूपण प्रतापसाहि से पूचं--दूलद श्रौर पदुमाकर । ७२४ प्रतापसादि-निरूपण-पद्ति, सुची; मेद; धारणा; खोत; लेण; उपसदार] तुलनात्मक सर्वेक्षण एकादश अंच्याय ९ उपसहार १ विपय-विस्तार 7 २, आधार श्र उसका उपयोग ३ पिवेचन- (क) शैली (ख) विपय-प्रतिपादन ४, मूल्याकन परिशिष्ट : सहायक ग्रन्थ-प्तची -~--9 © 9-~ ७२१ ७३२-७५० ७३३ ७२५ ७३८८ ७४१ ७४७ ७५ १-७१५.७




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