गद्य रत्नावली | Gadhya Ratnavali
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
178
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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हो; कितु चरित्र की कसौटी मे यदि वह अच्छी तरह कसे ' लिया
गया है, तो उस आदरणीय मनुष्य का संञ्रम और आदर समाज
मे कौन ऐसा कम्बख्त होगा, जो न करेगा, और ईष््यावश उसके
महत्व को मुक्तकण्ठ हो स्वीकार न करेगा ? नीचे द्रजे से ऊँचे
को पहुँचने के लिये चरित्र की कसीटी से बढ़े कर और कोई
दूसरा जरिया नहीं है। चरित्रवान् यद्यपि धीरे-धीरे बहुत देर
में ऊपर को उठता है, पर यह निश्चित है कि चरित्र-पालन मे जो
सावधान है, वह एक-न-एक दिन अवश्य ससाज का अगुवा
मान लिया जायगा। हमारे यहाँ के गोत्र-प्रवत्तेक ऋषि, भिन्न-
मिन्न मत या संग्रदायो के चलाने वाले आचाये, नबी, अम्बिया,
ओलिया आदि सब इसी क्रम पर आरूद रह, लाखो करोड़ो
मनुष्यो के 'गुरोगुरुः देववत् माननीय-पूजनीय हुए, और कितने
ही उनमे से ईश्वर के अंश और अचतार माने गए।
লী तो दियानतदारी, सत्य पर अटल विश्वास, शांति, कपुट
ओर कटिलाई का अभाव आदि चरित्र-पालन के अनेक अंग है,
किन्तु बुनियाद इन सब उत्तम गुणो की, जिस पर सलुष्य से
न्वारु-चसितरि का पविच्र विशाल मंदिर खड़ा हौ सकता है, अपने
सिद्धान्तो का दद् और पक्का होना है। जो शजितना ही अपने
सिद्धातो का हिल पक्का है, वह उतना ही चरित्र को पवित्रता
में श्रेष्ठ होगा (चरित्र की संपत्ति के लिए सिधाई तथा चित्त का
अक्कुटिल भाव भी एक ऐसा बड़ा स्रोत है| जहाँ से विश्वास,
अनुराग, दया, झदुता, सहानुभूति के सरस प्रवाह की अनेक
धाराएँ बहती है। इनमे से किसी एक धारा से नियम पूर्वक
स्नान करने वाला मङ्धष्य मलमनसाहत, सभ्यता, आमिजात्य या
कुलीनता तथा शिष्टता का नामूना बन जाता है। दयोकि चतुराई
विना चित्त की सिधाई के, ज्ञान या विद्या विना विवेक था
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