भौतिक भूगोल | Bhoitik Bhoogol
श्रेणी : भूगोल / Geography
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
30 MB
कुल पष्ठ :
672
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अन्तरिक्ष ज्ञान 9
का एक अंग मात्र है | हमारे ब्रह्माण्ड जैसे श्राकाश में श्रनेकों ब्रह्माण्ड हैं जिनकी जोज
গমী হীন है ।
तारामण्टल
जोर्टन वेघणाला की दृरबीन से जो एक प्ररव प्रकाश वर्ष की दुरी# तक देख सकती
है, देखने से विदित होता है कि श्राकाश में दो तारामण्डल विद्यमान हँ--एक प्रान्तरिक
तारामण्डल तथा दूसरा वाद्य तारामण्डल ।
भ्रान्तरिफ तारामण्डल
प्रान्तरियक तारामण्टल का रूप गोल बंद रोटी या श्रण्दे के समान है | इसके मध्य
भाग में तारे घनी मात्रा में तथा दोनों श्रोर बिरल होते जाते हैं। हमारा ब्रह्माण्ड जोकि
ট্হানল पथ या श्राकाण गंगा के नाम से जाना जाता है प्रान्तरिक तारामण्डल का ही एक
भंग है | ग्राकाण गंगा में ही हमारा सौर-मण्डल स्थित है ।
নাত तारामण्डल
प्रान्तरिक तारागण से बहुत दूर बाह्य तारामण्डल स्थित है जिसमें दूर-दूर छितराये
तारे तथा नीहारिकाश्रों के समूह के समूह देखे जा सकते हैं । इस तारा मण्डल में अ्रनेकानेक
ब्रह्माण्ठ प्रभी भी निर्माण प्रवस्था की स्थिति में हैं ।
तारागण समूह के प्रतिरिक्त भ्रन्तरिक्ष शून्य नहीं है । इस श्रनन्त श्राकाश में श्रत्यन्त
न्यूनतम घनत्व वाला पदार्थ विरणतता में फैला हुआ है । खोज के भ्राधार पर परस्पर
सम्बन्धित ग्रहों के मध्य रिक्त स्थान में पदार्थों (प्रधिकांशतः हाइड्रोजन) के 10 परमाणु
प्रति एक घन सेन््टीमीटर में फैले हुए हैं। इसी प्रकार कल्पनातीत भ्राकाश में ग्रुर्त्वाकपंण
फे क्षेत्र तथा विद्यूत चुम्बकीय विकरण वर्ण-क्रम, कोसमिक किरणें तथा घुम्बकीय क्षेत्र के
धनात तत्त्व प्रपार फावसे प्रोत-प्रोत हैं |
प्राकाण गगा
श्राकाश गंगा तारों का एक समूह है जो लम्बाकार पथ के रुप में प्रान्तरिक तारागण
समृह का व्यास बनाती है। इसकी लम्बाई एक लाख तथा चौड़ाई बीस हजार प्रकाश वर्ष
है। इसके मध्य भाग में तारों का घनत्व श्रधिक है जो दूरी के श्रनुपात में विरल होता
गया है | गलेनसी (081859) ग्रीक भापा का शब्द है जिसका तात्पय दूध से है। इसकी
प्राकृति चोरस बिम्ब फी भाँति है। इसकी नाभि के चारों भोर तारे घक्राकार भूजाश्रो में
स्थिर होकर परिक्रमा करते हैं। भ्राफाश गंगा में लगभग 10 0 श्ररव तारे हैं । हमारा
सोरमण्डल इसकी भुजा के एक छोर पर स्थित है । इसके केन्द्र से सूर्य की दूरी 30 हजार
तथा पृथ्वी की दूरी 47 हजार प्रकाश वर्ष है । सूर्य सोर मण्डल सहित आकाश गंगा के
केन्द्र की परिक्रमा 25 करोड़ वर्षों में पूरी करता है । 320 कि.मी. प्रति सेकेण्ड की गति
% प्रकाश की गति एक सेकण्ड में 3,00,000 किमी. है । इस गति से प्रकाश एक
वर्ष में जितनी दूरी तय करता है, उस दूरी को एक प्रकाश वर्ष (81 एत्य)
कहते हैं ।
2,151009010190019, 73110210109) 1,0700010, 1971, 0, 1042.
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