ओझा निबन्ध संग्रह प्रथम भाग | Ojha Nibandh Sangrah Bhag-1
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
286
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(४)
` (१२) ऊणैः-
यह किसी देश का नाम हो, ऐसा प्रसाण नहीं मिल सका, परन्तु
उरणः नामका एक नगर वस्बई अहाते के थाणा जिले सें था, जो
छालरारा वंश के राजाओं के राजप्रतिष्ठित नगरों में से एक गिता
जाता था ।
(१३) ऊपर-केवः-
क्षारभूमि वाला देश तथा रेणुका आदिं नवती्-*
1 इलोक।। रेणुका सुकरः काश्चि कालीकाल बरटे$वरौ ।।
कालिञ्जरो मेहाकाल ऊपरा नवमुवितिदाः 1111
[इति वराहपुराणम् ।।
(१४) कम्बोजः-
11इलोक।। पञ्चनद समारभ्य स्लेच्छाहक्षिण पूवे्तः ॥
कम्बोज दश्चो देवेशि ! वाजिराशि परायण: ॥।१।।
अर्थ--पण्जाब से लेकर अफगानिस्तान तक, है पार्वती ! कम्बोज दे
है, जो घोड़ों को गणना में श्रेष्ठ है ।
(१५) कर्णाटः-
।|হলীক্ষ।। হামলা समारभ्य श्री रंगान्तं विलेरवरिः ।।
कर्णाट देशो देवेशि ! साम्राज्य भोगदायकः ॥1१॥।
अर्थ--रामनाथ | से लेकर श्रीरंग तक कर्णाद देश है, वह राज्य भोग-
दायक है मौर दस लाख की आय को साम्राज्य कहते हैं । यथाः--
1॥इलोक।। लक्षाधिपत्य॑ राज्यंस्थात् साम्राज्य दश लक्षफे ।
शतलक्षे महेशानि ! महा साम्राज्यमुच्यते ॥11१1।
|| ছলি অহহা লল্দ |
यह देश दक्षिण में इसी नाम से प्रसिद्ध है ।
५
सम्पादकीय टिप्पण
# यह् गंगा-यमुना के तटवर्ती तथा उससे मिले हुए प्रदेश का सूचक है,
जिपमें उपयुक्त नौ तीर्थं थे । उपर्युक्त द्लोक से यह वड़ा विस्तारवालां
देश था! वैसवंशी महाराज हपंवर्ढन, रधुवंशी प्रतिहासो तथा गाहड़-
वालों कौ राजवानी कत्तौज (कान्यकुब्ज) का भी ऊपरुक्षेत्र में ही समा-
वेश हो जाता हूँ।
| रामनाथ--रामेश्वर शिव !
1 एतरेय ब्राह्मण में इस विषय का विश्वव् वर्णव है और কত ফন से
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