वैदिक - सन्ध्या | Vaidik Sandhyaa
श्रेणी : धार्मिक / Religious, पौराणिक / Mythological
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
969 KB
कुल पष्ठ :
33
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)| १६ |
पदार्थं ( उद्रहन्ति ) परताराकाकामदने हैं ।
जसे भण्डियां मागं दिषलानी है वेसे ही
येद् ओर सृष्टि नियम उस आप क्ती महिमा
क्रो दिखला रहें हें ২৬)
ऑबित्रंदेवान|मुदगादनीकचत्तुमितन्रस्य
परुणस्या गे: । श्राप्रा द्रावापथिवी अन्त-
रिक्त: सूय्य आत्मा जगतस्तस्थषश्वस्वाहा
हे स्वापिन ! यद्यपि संसार के पदाथ
आप को दशति है, परन्तु श्राप (चित्रम्) अद्भुत
स्वरूप है ( देवानाम् ) विद्वानों के हदय मे सदा
{ उदू भगात् ) प्रांत हो रहे हैं (अनो कम) बल
सरूवरूप हैं (वित्रसूय) भक्त सूर्य लोक (वरुणस्थ
रे पुरूष व चन्दर, (अग्नेः) ओर अभि, इनसब
के (चक्रुः) प्रकाशक है (जगतः) जज्ुम (तस्थुष
ओर स्थावर संसार कै आप ( आत्मा.
आत्मा अन्तर्यामी रै ( सूये: ) इसी सं आ
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