गाँव की बात | Gaon Ki Baat
श्रेणी : राजनीति / Politics
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
61
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)गाँव की याद ७
तुम्हीं ने सराचार मुझको सिखाया।
तुम्दीं ने है माग धम्मे का बताया ||
तुम्हीं ने है पापों से घुझकों बचाया।
तुम्हीं ने हैं मानस मुझको ब्ल्नाया।॥
मेरी प्यारी अ्रम्मा० || ५ |
बहुत तुमने की मेरे साथ भज्ञाई।
मेरे वास्ते बहुत मेहनत उठाई॥
प्रभु ग्रायु-घन मुझको देवे जो भाई |
तुम्हारी में दिल्ल से करूं सेवकाई ॥
मेरी प्यारी श्रम्मा० || ६ ||
इस समय भी पाठशाला में बालक तथा बालिकाएँ यह
कविता सीखती हैं, और मुझे इसके सुनने का बड़ा शोक है।
राह ! तुम्हारो मेँ दिल से करू सेवकाई” यह पक्ति मुभे पने
सारे जीवन पर नजर डालने को कहती है। में माता जी की
क्या सेवा कर पाया ! जब में कुछ योग्य हुआ था, तब उनका
देहान्त हो गया; हमेशा के लिए वियोग हो गया ! परन्तु उन्होंने
লু दशन देकर यह समभा दिया कि मा का द्वी विराट स्वरूप
जननी जन्मभूमिहै; देश की सवा, मावृभक्ति का दी दूसरा
रूप है ।
अब गाँव में मेरी साता नहीं, भाई घहिन आदि भी नहीं,
सगा सम्बन्धी नहीं, जाति बिरादरी नहीं। घर गिर-गिरा गया,
वह भी नहीं । फिर गाँव में क्या लगाव ! मेरे कुछ शहरी मित्र
ओर रिश्तेदार आदि यह पूछा करते द । उन्हें क्या जवाब
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