शाही दृश्य | Shahi Drishya

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Shahi Hashya by मक्खनलाल गुप्त - Makkhanlal Gupta

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[ ५६ | नाना प्रकार की सुविधाओं में रात दिन व्यतीत होता है, अत्यन्त ्लोभ उत्पन्न होगा | निस्संदेह भारत के इतिहास में वह घोर अंधकार और दारुण दुःख का समय गिना जाता है। जिस समय चारों ओर अराजकता, श्रन्याय, अत्याचार और कपट का राज्य था, उस समय मनुष्यों के साथ पशुओं की भाँति व्यवहार किया जाता था । प्रजा के कष्टों की सीमा पराकाष्ठा को पहुँच गई थी । छन्तु इतिहास-वेत्ता जानते है कि स्वतंत्र ओर जीवित जातियों के जीवन में कभी कभी ऐसा कठोर युग भी आता है । द्वितीय खंड में समरू का जीवन चरित्र है । इसके लिखने में “मुगल एम्पायर” के अतिरिक्त “सरधना”, “आरिएन्टल बायोग्राफिकल डिक्शनरी” और मुनशी ज्वालासहाय कृत द्दृ इतिहास “विकाये राजपूताना” से भी सह्ायता ली गई है। समरू एक चतुर सेनिक था ओर अपने इस्री गुण के कारण वह भारतवष के इतिहास में प्रसिद्ध हुआ । तृतीय खंड में बेगम समरू के जीवन की कथा द्वै जिसके लिखने का मेरा मूल उद्देश्य था। इसकी रचना में पुस्तक “बिकाये राजपुताना को छोड़ उस सभस्त सामग्री का उपयोग किया गया है, जिसका उल्लेख ऊपर दो चुका है । अनेक वगुण अर दूषण होने पर मी भारत के प्राचीन ऐतिहासिक नायकों में वे उच्च उत्कृष्ट गुण विद्यमान थे, जिनके कारण भारतवष की गिनती स्वाधीन देशों मे होती थी श्रौ भिनका पीछे से उनकी संतानो मे शतैः शनैः हास होकर श्भाव सा दो गया दै। उन पूबेजों के जीवन का इतिहास इस्र घाटे की पूति करने के निमित्त बड़ी प्रबल शिक्षा देता है ।




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