महान परिवर्तन | Mahan Parivatran

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Mahan Parivatran by ए. के. जैन - A. K. Jainलुई एलन - Lui Elan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१२ महान्‌ परिवतंन ५० वषं बाद की भ्राबादी से प्राधो थी -- केवल ७ करोड़ ६० लाख -- जबकि १६५० में वह १५ करोड़ हो चुकी हैँ। श्राज जहाँ गाँव बसे हैं और जहाँ के गाँवों ने भ्रब कस्बों का रूप ग्रहण कर लिया है, वहाँ तब प्रापको खुले मैदान के दशन होते। परस्तु स्थिति को श्रसमानता का भान तो हमें नगरों तथा उसके आसपास के इलाकों को हो देवकर हो सकता था । पश्चिमी हिस्से की थोड़ी जनसंख्या आपको स्मरण करायेगी कि उन दिनों ब्रमेरिका के उद्योग का आकषणाकेन्द्र तथा अ्रमेरिका को सांस्कृतिक संस्याएँ पूर्व के हिस्सों में कितनी अधिक थीं और पूर्वो शहरों में भो श्राधुनिक नागरिक जीवन की बहुत-सी विशेषताएं आपको नहीं मिलतों । उदाहरण के लिए, देश में सबसे ऊंचो गगनचुम्बी इमारत श्राईविन्स सिशडीकेट न्‍्यूयाक की पार्क रो में थी जो मीनारों सहित २६९ मंजिलों की थी तथा जिसको ऊँचाई ३८२ फुट थौ । अ्रभी न्यूयाक के दर्शकों में 'फेमस स्काईलाइन” पर टिप्पणी करने की जागरूकता श्रायी थी । दूसरे शहरों में तो दस या बारह मंजिल को इमारत प्राश्चयंकी वस्तु समो जाती थो । गली मे त्रिजली की रोशनी नहीं थी, अमेरिका के किसी भी नगर में भुटपुटा हो जाने पर शहर के लेम्पों को जलाने वाले का श्रषनी सीढ़ी सहित प्रकट होना सामान्य दृद्य होता था । सीद को वहु वत्तौ के खम्भे पर टेक देता और चद्‌ कर गलीवाली गेस को बत्तो जला देता० न तो श्रभी बिजलो से रोशन विज्ञापन होते थे श्रौर न श्रभी तक ब्राडवे वास्तव में ग्रेट व्हाईट वे बना था। शहरों में श्राम जनता के भ्राने-जाने के लिए पूरा किया टुभ्रा केवल एक उप- मागं था। एक छोटा-सा मार्ग बास्टन में भी था ; हाँ, १९०० में एक मार्ग के लिए न्यूयाके में श्रौर तैयारी कर ली गयी थी। श्रधिकतर गाँववासी नगरों को ठेलेगाड़ी में श्राते जिसके किसो मोड़ पर घूमते समय पहियों की चरमराहट ग्रामीणों को श्राधुनिक सभ्यता का प्रामाणिक सत्र लगती थी। हर नगर के बाहर निवासन-द्षेत्र होते थे । रेल की पटरो अथवा द्वाली लाइन से उनकी दूरी कोई खाम अधिक नहीं होती थी। पैदल ही यहाँ भ्रासानी से पहुँचा जा सकता था । एक या दो परिवार के घरों की लम्बी पंक्तियाँ खाली म॑दानों और खेतों के बीच सूनी खड़ी हुई थीं, श्रधिक सम्पन्न व्यक्तियों के लिए घास के




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