द्विवेदी - पत्रावली | Dvivedi - Patravali
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
236
श्रेणी :
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No Information available about बैजनाथ सिंह 'विनोद' - Baijanath Singh 'Vinod'
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)द्विवेदी-पत्रावत्नी १५
यदि इन सभी महानुभावोंके पत्रोंकी पढ़कर, उन पत्रोंमें से कुछ पत्र
चुननेका मुझे अवसर मिलता, तो निश्चय ही यह संग्रह और भी बड़ा
होता । फिर यह संग्रह अपने आपमें पूण भी होता। मैंने कुछ लोगोंके
पास सुरक्षित पत्र,की पानका प्रयत्न भी किया। पर मुझे एक ऐसे व्यक्तिने
निराश कर दियां, जिनके द्वारा में अनेक व्यक्तियोंके पास सुरक्षित पत्रोंकी
प्रतिलिपि पानेकी श्राशा करता था। वे व्यक्ति बड़े है, बुजुग हें, संग्रही हें
छ्रनेक व्यक्तियोंस सम्बद्ध हें ओर मेरे हितचिन्तक भी हैं । उन्होंने मुझे
लिखा कि वे स्वयं द्विवेदीजीके पत्रोंको प्रकाशित करेंगे। यदि वे सभी
व्यक्तियों के पास सुरक्षित पत्रोंकी प्रकाशित कर द गे, तो निश्चय ही हिन्दीका
बड़ा उपकार होगा । पर जबतक वे स्वयं द्विवेदीजीके पत्रोंकोी प्रकाशित न
कर दें, तबतक भी हिन्दी-प्रमी जनताको द्विवेदीजीके पत्रोंका रस मिलता
रहे, लोग द्विवेदीजीके कार्यों और उनकी परिस्थितियोंसे भी परिचित होते
रहें, इसलिए यह “द्विवेदी-पत्रावली? प्रस्तुत हे ।
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बंगला, गुजराती, मराठी और उदू भाषामें साहित्यकारोंके पत्रोंके
अनेक प्रकाशन हैं। पर हिन्दीमें वेसी स्थिति नहीं हे। जहाँ तक मुझे मालूम
ই हिन्दीमें शरतबाबूके पत्रोंका अनुवाद श्रीनाथूराम प्रेम।ने प्रकाशित
कराया है। सुना है स्व० स्वामी दयानन्दजीके पतरौका संग्रह भी प्रकाशित
हो चुका है। बापूके पत्र मीरा बहनके नाम मी प्रकाशित द । परं श्रभी तकर
हिन्दीके एक भो साहित्यकारके पत्र पुस्तके रूपमे नहीं प्रकाशित हुए ।
प्रस्तुत द्विवेदी-पत्रावली” हिन्दीका प्रथम पत्र-साहित्य है । कालकी
दृष्टिस यह पूर्ण है। जिस समय सूव० श्राचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी
हिन्दी जगतमें आये ओर जबतक वे कुछ करने लायक ये, तबतकके उनके
चुने हट पत्रोका संकलन प्रस्तुत संग्रहमे दै । विषयक दष्टिसे भी यह संकलन
पूर्ण है। द्विवेदीजोकी सम्पूर्ण साहित्यिक प्रवृत्तियोंसे सम्बन्धित कुछ न
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