औरत पानी है | Aurat Paani Hai

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Aurat Paani Hai by रॉबिन शां - Raubin Shan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रतिद्वन्द्री ® ® ® रात में जब राजेशनाथ भोजन पर बैठे तो पत्नी ने बात छेड़ी-'राकेश का पत्र श्राया है कि वह इस बार भी छदिंदयों में घर नहों आयेगा, किप्लो मित्र के यहाँ जा रहा है ।' भोजन का कौर उठाते हुए वे बोले--'अरं...मगर वह घर क्यों नहीं आता?” आखिर उप्ते घरते ऐसी क्या दुश्मनों है? पत्ती ने जैसे तब्ज़ पकड़ ली, बोल उठो-'मैं तो कहते-कऋद्वते हार गयी, कभी तुम सुनो भी तो...राकेश को देखे पूरे साल लगने को आये । दुसरे दिन हो बिलासपुर जाने का निर्णय केरके वे भोजन से उठ गये। | | गाड़ो बढ़ो जा रहो थों। राजेश बाबू ने सोचा करि आखिर वे সন বক্ষ बिलासपुर से भागते क्यों रहे...डरते क्यों हे...? अगर चाहते तो कब का बिलासपुर जाकर राकेश को लिवा लाते ...! मगर,......तभी उतको आ्रांखों के सामने से प्रतीत ভীঈ कदमों से गुजरने लगा......बीस वर्षों का पुराना बिलासपुर जवान हो गया भ्ौर वे कांप उठे... उस समय वे राजेश बाबू न हींथे...केवल राजू !२०-२२ कीश्रायु के राजू ...बनतारस' के सुप्रसिद्ध वकौल कैलाशनाथ के सुपुत्न--राजू को बी. ए. को परीक्षा देकर नतीजे की प्रतीक्षा थी । परन्तु...एक दिन सौतैली मां से श्रनायास ही




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