जब भारत जागा | Jab Bharat Jaga
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
19 MB
कुल पष्ठ :
171
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)जव भारत जागा : : १६
बातचीत बन्द करू |! उसने हाथ जोड़े |.
.. वह मेज से उतरने ही वाला था कि हाल के कोने से एक लड़को
बोली, 'महाशयजी, चलते-चलते एक गीत तो सुनाते जाइए ।
“यह में कर सकता हूँ ।! उसने बड़े ऊँचे स्वर से बन्देमातरम् की
धुन बजायी ।
गीत समाप्त होते ही वह महिला लकड़ी के डब्बे को लेकर सामने
खड़ी हो गई | डब्बा पैसों और रुपयों से भर गया। नन्दा वहीं बगल मेँ
खड़ी-खड़ी उस पागल बाँसुरीवाले को देख रही थी ।
प्रधान अध्यापिका हाथ जोड़ती हुईं उस महिला से बोली, “आप
लोगों से मिलकर बड़ी प्रसन्नता हुई | आप रहती कहाँ हैं ¢
“हम लोगों के पास घर-द्वार नहीं है, प्रिन्सिपल महोदया, और न
उसकी चिन्ता ही है । जहाँ सो जाते हैं, वही घर है ।' उसने हाथ जोड़े,
“ग्रब आज्ञा दीजिए ।' वह बाँसुरीवाले को साथ लेकर चल दी ।
किसी के कुछ सम में नहीं आया कि मामला क्या है |
नन्दा को अपने साथ आते देखकर बाँसुरीवाले ने पछा, आपका
शुभ नाम १
मुझे नन्दा कहते हैं ।'
“आप इसी विद्यालय में पढ़ती हैं ९!
“জী হাঁ!)
“किस कच्षा में ९!
“बी० ए.० के अन्तिम वष में |
फाटक के बाहर आने पर नन्दा ने विनती के स्वर में कहा, आपसे
एक बात कहनी थी ।!
“कहिए, ।'
“आपको में अपने घर ले चलना चाहती हूँ ।?
भ किसी के घर नहीं जाता नन्दा देवी ।
“क्यों १ मेरे घर मी नहो चल सकते ९ नन्दा का प्रश्न जेतुका খা
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