जब भारत जागा | Jab Bharat Jaga

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Jab Bharat Jaga by उमाशंकर - Umashankar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जव भारत जागा : : १६ बातचीत बन्द करू |! उसने हाथ जोड़े |. .. वह मेज से उतरने ही वाला था कि हाल के कोने से एक लड़को बोली, 'महाशयजी, चलते-चलते एक गीत तो सुनाते जाइए । “यह में कर सकता हूँ ।! उसने बड़े ऊँचे स्वर से बन्देमातरम्‌ की धुन बजायी । गीत समाप्त होते ही वह महिला लकड़ी के डब्बे को लेकर सामने खड़ी हो गई | डब्बा पैसों और रुपयों से भर गया। नन्दा वहीं बगल मेँ खड़ी-खड़ी उस पागल बाँसुरीवाले को देख रही थी । प्रधान अध्यापिका हाथ जोड़ती हुईं उस महिला से बोली, “आप लोगों से मिलकर बड़ी प्रसन्नता हुई | आप रहती कहाँ हैं ¢ “हम लोगों के पास घर-द्वार नहीं है, प्रिन्सिपल महोदया, और न उसकी चिन्ता ही है । जहाँ सो जाते हैं, वही घर है ।' उसने हाथ जोड़े, “ग्रब आज्ञा दीजिए ।' वह बाँसुरीवाले को साथ लेकर चल दी । किसी के कुछ सम में नहीं आया कि मामला क्‍या है | नन्‍दा को अपने साथ आते देखकर बाँसुरीवाले ने पछा, आपका शुभ नाम १ मुझे नन्‍दा कहते हैं ।' “आप इसी विद्यालय में पढ़ती हैं ९! “জী হাঁ!) “किस कच्षा में ९! “बी० ए.० के अन्तिम वष में | फाटक के बाहर आने पर नन्दा ने विनती के स्वर में कहा, आपसे एक बात कहनी थी ।! “कहिए, ।' “आपको में अपने घर ले चलना चाहती हूँ ।? भ किसी के घर नहीं जाता नन्दा देवी । “क्यों १ मेरे घर मी नहो चल सकते ९ नन्दा का प्रश्न जेतुका খা |




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