स्वामी विवेकानन्द | Sri Swami Vivekanand
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
32 MB
कुल पष्ठ :
104
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)५. _ च्खेमेंद रेप
शहा | उन दिनों बहुल में ही नहीं सारे भारतवषं मे धमं
विप्लव मच रहा थां । बह्गदेशमे ভ্ঞ্লিহল मत की उत्ताल
| तरज्ञों को रोकने के लिये बह्मलमाज की नींव पड़ चुकी
। थी। रूष्णमोहन बनर्जी, काल्लीच रण बनर्जी, माईकेल मचुसूदन
১ दत्तादि जैसे विद्वान भी प्रभु ईसा मसीह के शरणागत हो
खुके थे | कहने को ब्रह्मसमाज करिथ्चियन मत को उत्ताल
तरज्खा के रोकने को स्थापित हुआ था; | परन्तु कुछ परिवतन
रुप में उत्तक्े द्वारा कृश्चियन मत के लिये नयी सड़क बनने
1111
समाज के प्रवीण नायक, बाबू केशवचन्द्र सेन को वाक्यपछुता -
के प्रभाव से हिन्दुओं के धार्मिक विचार ओर विश्वास में
परिवर्तन हो गया था| ऐसे कठिन धमं विप्लच के समय में
खामी विवेकानन्द मी ब्रह्मसमाज के विचारों की ओर कुक
गये थे | परन्तु उनकी ब्रह्मसमाज से कुलु ति नदीं इद । इस
बीच में उन्होने करुकन्ता यूनिवसिंरी ( विश्च विद्यालय ) से
बी० ए० की परीक्षा उत्तीर्ण करलो थी । और कानून की
परीक्षा की तैयारी कर रहे थे, खाथ ही पने संशया कीं
निवृत्ति के लिये कितने ही ब्यक्तियों के पास गये पर कहीं भी
द उनकी शङ का समाधान नहीं हुआ | एक दिन उनके पितृव्य
9 { चाचा ) जो राम कृष्ण परमहंस के शिष्य थे | उनको अपने
| साथ परमहंसजी फे पास लेगये |
पाक,
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