लेखक और संवेदना | Lekhak Aur Samvedna

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Lekhak Aur Samvedna by शैलेश मटियानी - Shailesh Matiyani

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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तेन व्यक्तेन भुंजीयाः उकं त्याग का भोग अज्ञेय जो पर विचार करने बैठता, एक कठिन, और क्लेशप्रद । कार्य है, क्योंकि रचनाकर्म के जितने अनुकूल और प्रतिकूल, दोनों साथ-साथ अज्ञेय जी हैं, सम्भवत:, हमारे समय का अन्य कोई हिन्दी लेखक तहीं । यहाँ, सिफ दो ग्रोष्ठीअसंगों को लेकर लिखे जाने के कारण ज्यादा विस्तार में जाने का सुयोग नहीं है। संक्षेप में, यथासम्भव, उनकी के रेखांकित करने की कोशिश की गई है । इस विनय के साथ क्रि उनकौ पड़ताल मे जाने की अनिवार्थता रा को




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