विश्रुतचरितम | Vishrutcharitam
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
284
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्रगु ] 1 [१३ आ
रहा है, किसी के लिए ऐसी पुस्तकें लिखना और प्रकाशित कराना महा-
पातक माना जाता हैं और किसी के लिए महान् बज्ञमय, प्रशंसतोय और
पुरस्काराह खमा जाता है; तथापि संसार में अनेकों गुणाग्राहक अव्यायक,
विद्वान और विद्यार्थियों ने इस रचना को अपनाया है ओर इस की भुरि-भूरि
प्रशंसा करते हुए इस प्रयास को और लेखक की ऐसी समस्त रचनाओं को
वाञ्छनीय माना है । उन के सहयोग के कारण ही इस का तथा अन्य रचनाश्रों
का पुनः अथवा नवीन प्रकाशन किया गया है! आझा है पाठक पूव॑वत् इन
को अपनाएंगें ।
इस पुस्तक का प्रथम सस्करण अ्ल्पकाल में ही समाप्त हो गया था ।
इस का दूसरा संस्करण गद्यपारिजातविवरण में केवल हिन्दी श्रनुवाद श्रौर
टिप्पणियों का निकला था । दोनों को अ्रव्यापकों और विद्यारथियों--दोनों ही
ने सर्वत्र ही अपनाया और अपनों ग्रुणग्रांहिता का परिचय दिया। पुस्तक-
वितर्को और विक्रेताओं के श्रनुसार इस संस्करण के प्रकाशन के पदचातु
विद्यार्थी श्नन्य संस्करणों को लेना पसन्द दौ नहीं करते थे । पुस्तक कौ उपा-
देयता श्नौर लेखक्र-सम्पादक के परिश्रम के साफत्य का प्रमाण इस से अधिक
श्रीर् क्या हो सकता है । लेखक उन सव पाठकों का आभारी है जिन्होंने ङस
संस्करण को इतना अच्छा समका और अपनाय। 1 पाठकों की इस ग्रुणग्राहितों
के परिणामस्वरूप पुस्तक का संस्करण समाप्त हो जाने पर भी मांग निरन्तर
ग्राती रही । इसे श्राद्योपान्त संशोधित और परिवर्धित करने की इच्छा से इस
का प्रकाशन श्रव तक रुका रहा | ईश्वर को कृपा से अनुकूल परिस्थितियां श्राने
पर यह सथ्योधन सम्भव हो सका है ।
पुस्तक के मुद्रण में प्रफश्ोवन आदि में श्री सुकेशी रानी ग्रुप्ता, एम०
ए० तथा श्री सुवोबकुमार ग्रुप्त, श्री अनिलकुमार गुप्त और श्री प्रमोदकुमार
गुप्त ने बहुत सहायता की हैं । भारती मन्दिर के इन अ्रधिपतियों ने पुस्तक के
प्रकाशन और वितरण की सुव्यवस्था की है। इन सव को धन्यवाद और शुभ
भ्राशिपें हूँ । ४
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