आर्थिक अवधारणायें व विधियाँ | Arthik Avdharnaye Or Vidhiyan

Arthik Avdharnaye Or Vidhiyan by लक्ष्मीनारायण नाथूराम - Lakshminarayan Nathuram

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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7 (1) यह विश्लेषणात्मक (803190०७1) है-इसमे प्रत्येक क्रिया के चुनाव-पक्ष का अध्ययन किया जाता है | ऊपर स्पष्ट किया जा चुका दै कि सीमित साथन, उनके वैकल्पिक उपयोग एवं विभिन्न महत्त्व वाले जनेक लक्ष्यों की स्थिति में चुनाव अवश्य करना होता है । अत रोबिन्स की परिभाषा विश्लेषणात्मक है । इसमे क्रियाओ को आर्थिक व अनार्थिक दो श्रैणियो मे नही काटा गवाह, (2) रोबिन्स साध्यों को दिमा हुआ मानता है-उसके मत मे साध्यो (जिन्हे एक व्यक्ति प्राप्त करना चाहता है) का निर्धारण राजनीतिज्ञ अथवा नीतिशास्त्री अथवा व्यक्ति स्वय करते है । अर्थशास्त्री का काम (अर्थशास्त्री के रूप मे) साध्यो के अच्छे-बुरे की जाँच करना नही है, बल्कि उनको दिया हुआ मानकर केवल उनको प्राप्त करने के उपाय सुझाना है । (3) अर्थशास्त्र एक मानवीय विज्ञान है-इसमे समाज मे रहने वाले और न रहने वाले दोनो प्रकार के व्यक्तियो के व्यवहार का अध्ययन किया जा सकता है। (4) परिभाषा मे साघनो की “भौतिकत्ा” के स्थान पर *सीमितता' पर बल दिया दै-रोबिन्स के अनुसार साधनो की “भौतिकता” आर्थिक समस्या को जन्म नही देती है, बल्कि उनकी “सीमितता” ही आर्थिक चुनाव के लिए प्रेरित करती है । साधन भौतिक ण्ण अभौतिक हो सकते है | लेकिन जब माँग की तुलना मे उनकी पूर्ति कम होती है, अर्थात्‌ जब वे सीमित होते है तभी आर्थिक चुनाव की समस्या पैदा होती है | हम पहले बतला चुके है कि अधिकाश आधुनिक अर्थशास्त्री आर्थिक समस्या को 'सीमितता/ से जोड़ते है और इसे चुनाव की समस्या मानते दै । सेमुअल्सन व नोरढाउस, लिप्से, मिल्टन फ्रीडमैन व जी एल बच आदि ने सेबिन्स के दृष्टिकोण का समर्थन किया हे । ˆ जी एल बच (७1. 89८) वे उसके सहयोगी लेखको ने अर्थशास्त्र को “आर्थिक विश्लेषण” व “आर्थिक नीति” दोनो रूपो मे देखा है | आर्थिक विश्लेषण के रूप मे, “अर्थशास्त्र इस बात का अध्ययन करता है कि हम जिन वस्तुओं व सेवाओ को चाहते हैं, उनका उत्पादन कैसे किया जाता है, और उनका हमारे रीच मे वितरण कैसे किया जाता है 1! इस सरह आर्थिक विश्लेषण वस्तुओ व सेवाओ के उत्पादन व वितरण से सम्बन्ध रखता है ! लेकिन आर्थिक नीति के रूप मे “अर्थशास्त्र इस रात का अध्ययन करता है कि उत्पादन ब वित्तरण की प्रणाली किस प्रकार बेडतर ढंग से काम कर सकती है।” अत आर्थिक नीति के रूप मे यह उत्पादन व वितरण की प्रणाली मे सुधार के उपाय सुझाता है ताकि इनको पहले की तुलना मे ज्यादा कार्यकुशल




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