हरिवंशपुराण [भाग-२] | Harivanshpuran [Bhag-2]
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
46 MB
कुल पष्ठ :
651
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)বর ৯৮৫১5৩৮৬৮৫৯ 9১4৮৮৫৬৬৬৫৬ ৩৬০,৬৫৮ ৫৬ वजि,
४, १० 1 _ हरिवेदा ओर जिनसेनाचाये ।
১ এ পি হা ्छ्छम्कन्कण्कन्कनकर नजकम कक के ११
1 वपं नहीं है जिसका कि स्वामी भिनसेनने उल्लेख किया हे घरिकि सका पितामह (वावा) ||
| वहम, जिसकाकि दूसरा नाम अमोचवष भी था ( जैसा कि आगे हम सिद्ध करेंगे ) ६
| उनका शिष्य था । क्योकि राष्ङूखवंशीय राजा लोग करई २ नार्मोसे प्रसिद्ध इषः है उनम |
१| ककराजके बाद जितने राज। सिहासनारूढृ हुए है प्रायः उन सर्वोक्ी वष उपाधि रदी ||
। जैसा कि नीचे लिखी तालिकासे मालूम पड़ता है--
कर्कराज
|
इंद्र (२) कृष्णराज अकालबर्ष शुभतुंग ( राज्यारेभ ६७५ शक )
(१) खड़ावलोक, दंतिदुर्ग
৯558৯
। এ =
(३) गोविंद श्रीवद्धम अमोघवषे (“)( ७०५ शक )
( ४ ) धुव कलिनल्लभ धाराथष निरुपम
गुजरशाखा
পলি ^~ ~ ~~~ = ~~~ -~~ ~-- ~---- ~ = ~~~ লহ, ক हे
(५) गोविद श्रीवल्लभ प्रभूतवेषे जगतनुंग ( ५१६ शक ) নি
(६ ) शर्वेमहाराज अमोधवर्ष ठ्पतुंग ( ७३६ शक )
(७) कृष्ण अकालवर्ष शुभनुंग ( ७१५ शक )
|
ककराज सुवर्णवर्ष गोविद प्रभूतवर्ष
जगनूनु॑ग ( पिताके जीवित ही मर गया ) है
ৃ
কনর
ৃ
(८) इंद्राज, नित्यवर्ष ( ८३६ शक ) अकालवर्ष, झुभतुंग
~ --- শশা
|
४ धव, धारविषै निश्पम
( १) अमोधवषे ( ८४० ) रक | ( ११ वहिग अमोघवर्ष ( ८५६ शक )
(१० ) गोविद प्रभूतवष नृपलुंग [ ८४१ शक ]
प = च च এ নিল জর এ ४
॥
|
[ १२] कृष्ण अकालवर्ष शुभलुंग [ ८६१ ) जगतलुंग [ १३ ! खोड़िग नित्यवर्ष [ ८८२]
[१४ ] कक अमोधवप वरपतुग, [राज्यांत ८५६ शक ]
वालिकामें दिखलाये गये राजाओंके नामों ओर उनके पहिले लिखे गये नंबरोंसे भली
भांति क्वात होता है कि एक ही चंदकी एक ही व्यक्तिने अनेक नाम धारण किये हैं ओर कर्क-
राजके परचर्ती समस्त राजाओंके नामांतम 'बर्ष' शब्द रहा है। यद्यपि केवल हरिवशकार |:
जिनसेनके समसामयिक कष्णराजके पुत्र धी गोविद या भीवलभका वषातनाम आजतक
किसी तान्नलेख वा शिलालेखम नहीं पाया गया है तथापि उसका कोरे न कोर बात नाम
५१ পর এ হত প্রচ कन्क रक रकन र कक्कर
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