हिन्दी का निखार तथा परिष्कार | Hindi Ka Nikhar Aur Parishkar
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
203
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विषय प्रवेश ११
है। 'मेरढी' निखरे हुए रूप भे 'हिंदवी 'हिंदी' (या उद ) बनी है। देहली तक
पहुचे पटुचते उसमे निखार दौ गया |
बुरुजतपद (मेरठी परिसर) मे बोलते हैं --
'साडा धोखे में मार गया!
और राष्ट्र मापा मे प्रयोग होता है --
साला घोषे म भार गया
তু भें भी साला ही चलता है। तो यह 'साडा' वा निखार 'साला' हुआ,
जिसका सम्बंध सस्द्ृतत 'श्याल से है। 'साडा का 'साला के रूप मे निखार कंसे
हुआ ? देहली वस्तुत भाषाश्रा की 'देहली है। इस चीज को पडित क्शोरीदास
वाजपेयी ने अपने भारतीय भाषा विज्ञान भे बहुत भ्रच्छी तरह स्पष्ट किया है ।*
देहली के पश्चिम म हरियाना है। वहाँ भी 'साडा' हो बोला जाता है। श्रज मे देहली
के दर्सिण मे वहाँ भी 'साला नहीं चलता । राजस्थानी प्रौर 'पाजचाली म भी 'साला
नही चलता । 'ल' वी जगह यहां २ का चलन है। নন देहली म॑ हिंदी उदू ने
'साडा को 'साला कसे ग्रहण कर लिया ? सस्दृत वे इयाल' से उस समय लोगा ने
साला बना घर काम मे लिया हो, यह वात समझ मे नहीं भ्राती । हा देहली से परे
मुरादाबाद जिले के पश्चिमी छोर परन साडा' चलता है न 'सार चलता है।
वहाँ साला सुना जाता है, वही प्रभाव इस निखार मे जान पडता है। हिंदी उद्दू मे
साडा' का निखरा हुआ रूप “साला” ग्रहीत हुआ ।
इसी तरह “कुरुजनपद' भ बोलते है --
'वहले गिठी में रोटटी बना ले
राष्ट्रभापा म --
पहले श्रेगीठी म॑ रोटी बना ले
“गरिठी/ का निखार श्रेंगीठी! श्लौर रोटटी का निखार “येटी' । श्रागि ठौ ~
श्रगीदी भ्लोर फिर अऋगीठी 1 श्रेंगीठी/ को ही 'कुस्जनपद' मे बोलते हैं 'गठी' वस्तुत
गिठी', धोती को “धोत्ती श्रौर 'जाता है' को जात्ता है वहा बोलते हैं। देहली पहुचते-
प्तं एतम् निखार हो गया योती “जाता है! इत्यादि । इसी तरह कुरुजनपद का
बुवाऊ तुझे राष्ट्रभापा म हो गया 'बताऊंँ तुके और 'थोठा जल बुचा ले का बुचा
ले! हो गया 'बचा ले'।
हिंदी सघ वी अय समी मापाभ्राम श्रेगीटी धोती, जात है, जसे प्रयोग
होते हैं । उही के प्रमाव से 'खडी वोली के वसे शदा वा वह विकार दूर ही गया ।
_इसके लिए विसी ने बोई प्रयत्त नहीं किया । मापा मे स्वत॒निखार हुआ
१ भारतीय भाषा विचान, प० १४६ व २०४
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