प्राचीन हस्तलिखित पोथियो का विवरण | Prachin Hastlikhit Pothiyo Ka Vivran

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Prachin Hastlikhit Pothiyo Ka Vivran by डॉ० धर्मेन्द्र ब्रह्मचारी शास्त्री - Dr. Dharmendra Brahmchari Shastri

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विद्वता और विद्वता जनित विनम्रता, सुहृदता और कांति से दीप्त डा धर्मेंद्र ब्रह्मचारी शास्त्री संत-साहित्य के मर्मज्ञ विद्वान और अनुशीलक थे। उन्होंने हस्त-लिखित दुर्लभ ग्रंथों का गहन अनुशीलन किया था। संत-साहित्य के अनेक दुर्लभ ग्रंथों को प्रकाश में लाने का श्रेय भी शास्त्री जी को जाता है। उन्होंने दुर्लभ-ग्रंथों की एक सुदीर्घ विवरणिका भी तैयार की थी, जिसका दो खंडों में प्रकाशन हुआ था। उनके द्वारा संपादित यह ग्रंथ 'प्राचीन हस्त-लिखित पोथियों का विवरण', अनुशीलन-धर्मी साहित्यकारों एवं शोध के विद्यार्थियों के लिए अनुपम थाती है। बिहार के महान संत-साहित्यकार 'दरिया साहेब' और उनके साहित्य को प्रकट करने

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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হু १६२३ २४, प्र०म० २८३ १६२६ २८, प्र ৮ ২৭% १६२६-३९, प्र*-से २३६ १४३२-५४, प्र०स० १४१ । ¶८-गोस्वामी तु्नमीदास(र ३, ‰ ५ १८ ३८, ४० ४) ४२, ६६ ७४,७४५, ৫৭ ६८)-द्विन्दी के सबंधोष्ट सझुतकाव। निम्ननि-खत रचनाभां को कुल सतरद प्रतियों मिली ६, जिनका विवरण इस प्रकार है-- फ्रम-मण्या प्रयनाम प्रतियों लिपिकाल ३. रामचरितमानस १४ १८४८ वि* १६९३ वि , १८४० वि*, १८८८ वि०, १८५६ वि०, १८६४ बि* १८३६ वि , १६०६ प्रि०। य्‌ विनय पत्रिका १ १८ ६ वि*। ३ ष्ठःपय रामायण १ भ २१-घरनदास ( ६६ )-चरएदसीसप्रदाय के प्रदर्त प्रमद सन হত্যা (लवर राम स्थान )-निवादी घूसर बनियोँ मुखदेय के शिष्य ओर दमी भार फ হয অন্দ--৩ঘ* তি মৃু--৭4২৫ वि + प्रथम नाम रएजित । का के अठारइ प्रथ नागरी प्रचारिणी समा ( काशी ) को खात में मिले दे । १२-म्थमदास ( २८ )--श्रारामार्णय के प्रथछार अकादी प्राम, विष्याचल ( मितापुर ) निदामी,जाति क ब्राद्मण सापु स* 1८१८ वि. के लगमग बत्तमात। नागरी प्रचारिएी समा (कारी) को इनऊ प्रय खाज में मिते ६१५ रामायण पिंगल “नामक इनझओ दूसरी रचनगरोज में मिली है। दु०--नागरी प्रचारिणो समा ( काशी ) की साज विवरणिका सन्‌ १६२ २९, सन्‌ १६२३ २४ আন ৭5২1 १३--धर्ंदास (३३-स, २३-०७, २६ २६, ३७ ६ )--अवीरद्राव्न के शिष्य उन १४४७ के लगमग घत मान करीरपथ क प्रचारक कबीरपय में आन से पूछें दा नाम जुद्वन जाति के बनिया और बौधवगई ( मध्यप्रटेश ) निवाझी । घमपतनी “अमीना में नारायणदास और चूड़ामन नामक दो पुत्र, नागरी प्रचारिणी समा ( काशी ) का इनकी अनक पायियाँ सात में मिली हैं ।* ह हैं “-नागरीन्यचारियी समा ( काशी ) का साज विवरण-१६०५ ञर न्‍म १७ १८, १६, १६०६-४६, श्र सु १६७ १६ ६-११ ग्र छझ०-६४५ १६१७-१६ ४ -मब ३७ १६ -२२ प्र न्स० २९१६९५२५ भ॑ -न ७४ ह६२६-२८ अर ख० छा १६६११ अत ६४ १६३२-१४ আধা ३८॥ २ नागरी-प्रचारिणी समा (कारी) का स्मोज विवरण १६०१ -थनम्वा १ १६ ३ ग्रयमस्या १४५॥ 3 नेऽ-ना०प्र० पन का सा० वि -१६ ६-८ ६० म म०-१५ १६९३-२५- प्रभ १०५ १६३२-३४, ग्र० म० ५३॥




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