कल भी सूरज नहीं चढ़ेगा | Kal Bhii Suuraj Nahiin Chadhegaa
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
128
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)डायर बुदबुदा रहा है -- किचलू किचलू | कितने ही किचलू । वह
इशारा करके बता रहा है कि उसे अनगिनत किचलू दिखाई दे रहे हैं ।
परंतु जिस दिशा में वह इशारा कर रहा है उधर तो एक-दो ही हैं । और
कुछ भी नहीं । वहाँ कोई किचलू नहीं है । कोई हातो नहीं है । डायर का
भ्रम है । वेसे डायर एक बहादुर, निडर और निर्दयी व्यक्ति समझा जाता
है, परंतु आज वह अपने काल्पनिक भय से ग्रस्त है । हर राहगीर उसे
किचलू दिखाई दे रहा है ।
“अब दो पहलवानों जैसे व्यक्ति उसे दिखाई पड़ते हैं - उन्होंने कुरते :
ओर तहमद (बड़ी धोती) पहनी हुई हैं । ये कौन हैं ? उसे वे हू-ब-हू बग्गा
ओर सतू जैसे लगते है जिनके बारे मेँ कल इरविग ने बताया था । बग्गा
और र्त्तू । इन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर नेशनल बैंक पर हमला
किया था । बेचे स्टीयूर्टं ओर स्कोर को मारकर इमारत मेँ आग लगा
दी थी । वे बेचारे इमारत के साथ ही जल गए थे ।
ये दोनों जो सामने दिखाई दे रहे है, यही उन्हे मारने वाले थे । ये
दोनों । इनके साथ ओर भी थे - अब्दुल मजीद ओर राय राम सिंह । ये
हिदू, मुसलमान ओर सिक्ख मिल गए थे । इन्होंने मिलकर यह काम
कियाथा।ये सामने से आ रहे दो पहलवान थे - बग्गा ओर स्तु । ये
किधर आ रहे हँ ? ये क्योँ आ रहे हैं ? ये आजाद केसे घूम रहे हैं ? इन्हें
किसी ने गिरफ्तार नहीं किया ?
हिदुस्तानियों के शत्र भी हिंदुस्तानी ही हैं । हिंदुस्तानी को हिंदुस्तानी
ही मार सकता है । डायर का विचार है कि सदा हिंदुस्तानी के हाथों ही
हिंदुस्तानी को मरवाना चाहिए । इसी में बुद्धिमानी है । यही दूरदृष्टि है।
यही राजनीति है। और अब इसके आगे-आगे चल रहे हिंदुस्तानी
सिपाही उनको रत्तू और बग्गा दिखाई देते हैं । सफेद कुर्ते और तहमद
वाले । कुछ देर पहले बग्गा ओर रत्तू लगने वाले व्यक्ति न जाने कहाँ
अदृश्य हो गए हैं । उन्होंने सिपाहियों की वर्दी पहन ली है और सिपाहियों
में ही मिल गए हैं । सभी सिपाही रत्तू और बग्गा बन गए हैं । सिपाही
मार्च कर रहे हैं ।
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