समुद्रगुप्त | Samudragupt

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Samudragupt  by प्रो. रविशंकर अंबाराम - Pro. Ravishankar Anbaramभरतराम - Bharatram

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हद भूमिका द्वारा दी देशका अभ्युदय दो सकता है काय्य॑ रूप में परिणत करने के लिए जो भारी व्यय कराकर ऐसे ऐसे उत्तम भंथ प्रकाशीत करा रहे हैं यद्द उनके विद्या प्रेमका ज्वलंत उदाहरण है । इस भ्रंथके अनुवाद करने में पंडित भ्रवानस्द जी डाक्कने अनुवादक महों- दय को जो सद्दायता दी हे उसके छिए धन्यवाद के पात्र हैं तथा उनका हिन्दी प्रेम सराइनीय है । सन्त में हम चादते है कि हिंदी प्रेमी हमार इस कार्य को फलीभूत करने के लिए अधिकाधिक संख्या में इस माला के श्राइक बन अपने हिंदी श्रेमका परिचय देंगें । ् विनीत बडोादा. ए.ए दूदानी ता ४-११०९९ बी. ए. एल एल बी. मकाशराक.




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