समान-सेवा का क्षेत्र | Samaj Seva Ka Kshetra
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
75 MB
कुल पष्ठ :
501
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)- १८ -
कोनोवर को दे दिया गया ! इन सहयोगी लेखकों ने उदाहरण के रूप मेँ दी गयी सामग्री
के चुनाव में भी पूरी तरह सहायता की है।
पाठक देखेंगे कि इस संस्करण में कई नये अध्याय जोड़ दिये गये हैं, जैसे पहला अध्याय
जिसमें उन विविध प्रकार की समस्याओं के उदाहरण प्रस्तुत किये गये हैँ, जो सामाजिक
अभिकरणों के पास लोगों द्वारा समाधान के लिए लायी जाती हैं, वेयक्तिक समाज-सेवा-
कार्य-सम्बन्धी अध्याय तथा वृद्धों के लिए की जाने वाली सामाजिक सेवा से सम्बन्धित
अध्याय । इस अन्तिम अध्याय की आवश्यकता क्यों प्रतीत हुई, यह बात वृद्धता से सम्बन्धित
विविध समस्याओं की बढ़ती हुई व्यापक जानकारी की ओर दृष्टिपात करने पर आसानी
से समझी जा सकती है। मूल लेखक का यह मत है कि इस पुस्तक के पूवेवर्ती संस्करणों
में वेयक्तिक सेवाकाय के सम्बन्ध में पर्याप्त विवेचना नहीं की जा सकी थी और इस संस्करण
में श्री विलसन द्वारा लिखे गये वेयक्तिक समाज-सेवाकार्य' शीर्षक अध्याय से उस अभाव
की पूति हौ गयी है। पूवेस्नातक-कक्षाओं के विद्याथियों को प्रस्तावनात्मक पाठ्यक्रम
पढ़ाते समय जो अनुभव प्राप्त हुए, उन्हीं से प्रेरित होकर जनता की समस्याओं से सम्बन्धित
अध्याय लिखने की आवश्यकता प्रतीत हुई। नये जोड़े गये अध्यायों के अतिरिक्त उदाहरण
रूप में प्रस्तुत सामग्रियों का चुनाव भी फिर से किया गया है।
इस संस्करण में सन्दर्भ-ग्रन्थ-सूची भी बढ़ा दी गयी है और उसमें अबतक की नवीन-
तम पुस्तकों, पत्र-पत्रिकाओं आदि को सम्मिलित कर लिया गया है। साथ ही इस सूची
में से कई पुस्तकों के नाम निकाल दिये गये हें, जो इस ग्रन्थ के सन् १९४९ वाले संस्करण
की संदर्भ ग्रन्थ-सूची में सम्मिलित थे। इस संस्करण के सोलहवें अध्याय में इस विषय से
सम्बन्धित चलचित्रों को उपलब्ध करने या उनके विषय में जानकारी प्राप्त करनेवालों
के उपयोग के लिए, उनके निर्माताओं, वितरकों आदि के पतों की सूची जोड़ दी गयी है ।
सामाजिक सेवाकार्य के उद्देश्य की सिद्धि के लिए निर्मित ऐसे चलचित्र, जो उपयोग के योग्य
होते हैँ, अथवा जिनके आधार पर नये चलचित्र बनाये जा सकते हैं, इतनी संख्या में
निरन्तर तैयार होते रहते हैं कि उनके नामों की सूची बनाना व्यर्थ समझ कर उसके
लिए प्रयास ही नहीं किया गया और उनके उपलब्धि-स्रोतों की सूची दे देना ही पर्याप्त
समझा गया।
इस ग्रन्थ के अन्य संस्करणों की भाँति इस संस्करण को तैयार करने में भी हमें अनेकों
व्यक्तियों ओर स्रोतों से सहायता प्राप्त हुई है। यद्यपि स्थानाभाव के कारण इस संस्करण
में प्रथम और द्वितीय संस्करणों की भमिकाएँ नहीं दी जा रही हें, किन्तु उन भूमिकाओं
मं विभिन्न व्यक्तियों ओर स्रोतों के प्रति जो आभार व्यक्त किया गया था, वह अब भी
बना हुआ है और यहाँ पुनः उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करना हम अपना कतंव्य समझते
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