समीक्षा के मान और हिंदी समीक्षा की विशिष्ट प्रवृतियाँ प्रथम खण्ड | Sameeksha Ke Maan Aur Hindi Sameeksha Ki Vishisht Pravratiyaan Part 1

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Sameeksha Ke Maan Aur Hindi Sameeksha Ki Vishisht Pravratiyaan Part 1 by प्रतापनारायण टंडन - Pratapnarayan Tandan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कषठ > লি বস এনা এ न চা म्‌ সান चूत এ ~ ক मी न কনর সে १.२६) विषय शखः १ *४ . „जानं प्राउन--२४६. प्रसुख कधिया गौर विधार--4 ४६, विसरव्यत आई हि १६ आफ पोयटी--२४६, हिस्ट्री आफ दि राइव ऐंड ओग्रेश आफ प्रवटरी--- ४६ + ड० समख जनतन--२८०, पस्य यर नियर, चष्ट আগে धि यरेयट्म- २५५७. जनश्च কা অনীভা জলির উল नीक विवेशन-+ए४५व, मिशेम হু दि क्षेक्सरीय र--२४९, काठय वविबार-+ ६४९, जानवन का महत्थ-- ६२४५७ ३ आधुनिक युगीन हटैलियन समीक्षा--२५६१, च कम 1 ्टिकस--२५२. कल्प्य ओर अभिच्यश्छि--२४३ 1 आधुनिक युगीव फ्ॉसीसी समीक्षा--२५४, ज्यौ पतन सार्म--२५४७ नत भीर कवि---२५६, भाषा पर विद्वार--२५७, गद्य की कजा-+२५४७, अन्य विवार 4 आधुचिक युगीन स्पेनी समीक्षा---२६० 4 आधुनिक युगीन जमन समीच्छा--२६१३ आधुनिक युगीद रूसी य्रमीक्षा--२६४४ आधुनिक गुयीव अमेरिकी सभीडा---२६ ४, टैनरी शेम्स--२४७ ६ माधुनिक यगुगीय अंग्रेजी समीदता--२७४ ३ सम्रुअल टेखर कालरिंग---२७६ अमुख विवरर--२७६ । टासस काशलाइस--२७७ प्रमुख विलय र---२७७ 1 मैथ्यू गानैरड---२७८, प्रमुख धि चःर---२७य ६ आई० एक रिचड--२७९, प्रमुख बिचार--२७०, मूल्य तथा भाव प्रेषग দক मापा और विचार---२१८०, समीक्षात्मक विचारे--रृदर ২ टी० एस० इलियट--र८४, प्रमुख समीक्षात्मक विचार-शय४ 4 हु ए० फारटेर--२८७ प्रमुख विच्यार--२८४३ 1 अध्याय ३ संस्कृत समीक्षा कारन का विकास शौर भिक्षि पसिद्धास्सों छा ह्यहूप, ० २९१६-४७ १ 4 प्राचीन संस्कृत समीक्षा शास्त्र को विकास--२९७ 1




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