हिंदी के आधुनिक पौराणिक प्रबन्ध - काव्यों में पात्रों का चरित्र विकास | Hindi Ke Aadhunik Pauraanik Praband-Kavyon Mein Patron Ka Charitra Vikas

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Hindi Ke Aadhunik Pauraanik Praband-Kavyon Mein Patron Ka Charitra Vikas by डॉ मालती सिंह - Dr. Malti Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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तुलसी के पश्चात केशवदास, प्राणचन्द वाहान व॒ हहृदयराम भल्ला आवि कवियों का नाम महत्वपूर्ण हे । केशवदास यद्यपि श्रंगारी किया मे आते हे, किन्तु उन्हीं मिथकीय रचना भी की हे । ' रामर्चान्द्रका '“ केशवदास की -मिधकाग््रिति काव्य रचना है । रामचन्द्रिका दो भाग तथा उन्तालीस प्रकाशो में बद रचना हे । प्रथम भाग में 20 प्रकाश है, इसमें राम के बचपन से लेकर रावण वध तक की कथा का वर्णन किया गया है । दितीय भाग में राम भरत मिलाप, राम का तिलकोत्सव, रामराज्य का वर्णन, शम्बूक वध, लवणासुर वध आवि प्रसंगों का चित्रण है । प्राणचन्द चोहान ने रामायण महानाटक लिखा इसमे राम के चरित्र को वर्णित किया गया हे । हृदयराम भल्ला का ममिथकाश्रित रचना हनुमननाटक है । इस परम्परा के कवियों ने धर्म और समाज के क्षेत्र में अपने व्यापक समन्वयवादी-दृष्टिकोण का परिचय दिया । इन मिधकीय चरित्रों के मराध्यम्‌ से समाज के समक्न तदनुकूल आदर्शं प्रस्तुत किया । साहित्य का प्रणयन जीवन का व्यपक आधार तेकर विकसित हुआ था । अतः उसमें राम के लोकोपकारी रामराज्य संस्थापक स्प के साथ दही लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, हनुमान आदि पात्रं का वर्णन प्राप्त होता हे । तथा उनके सहारे मानव जीवन के व्यापक आदशां की स्थापना के लिए सभी पात्रों के पास्परिक सम्बन्धा का सूत्र स्प मेँ ग्रथित करके प्रस्तुत किया गया है । -2 ১ ক मसल... वाली কি 1- रामचन्दरिका ~ केशवदास, बारहवीं रास्करंण - 19१2 2... आधुनिक हिन्दी काव्य और पुराण कथा - डा0 मालती सिंह, पृ0-14




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