भ्रमरगीत काव्य और उसकी परम्परा | Bhramargeet Kavya Aur Uski Parampara

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Bhramargeet Kavya Aur Uski Parampara by स्नेहल्ता श्रीवास्तव - Snehalta Srivastav

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about स्नेहल्ता श्रीवास्तव - Snehalta Srivastav

Add Infomation AboutSnehalta Srivastav

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
विषय-सूची এল अध्याय विषय प्रवेश १--भ्रमरगीत का अभिप्राय २--श्रमरगीत की आधारभूत कथा ३--हि नदी श्रमरगीत काव्य का महत्त्व ४--प्रस्तुत विषय से संबद्ध आलोचनात्मऋ साहित्य ओर उसकी परीक्षा द्वितीय अ्रध्याय अभ्रमरगीत काव्य का आधार १--प्र्ठभूमि | २ भ्रमरगीत का मूलाथ ३-अमरगीत का वर्गीकरण ४--अमरगीत का मुल रूप --प्रारम्भ ६- संस्छृत-भागवत ७--विद्यापत्ति तृतीय श्रध्याय हिन्दी काव्य मं ्रमरगीत परम्परा का क्रमिक विकास एवं उपलब्ध सामग्री चतुथ श्रध्याय भ्रमरगीतत की धार्मिक एवं दाशेनिक प्रष्ठमूमि डष्ठ १-१५ ০৬ ७० ७४ £৩-৬জ १६ २१ श्र ३३ २४ ४३ ४६-६८ ६७-१३३ प्रथम खंड-- भारतीय उपासना पद्धति का विकास एवं ब्रह्म स्वरूप १- वेदों का बहु देववाद २--उपनिषद्‌ का ब्रह्म वाद ३--गीता का नत्रह्मस्वरूप ६६. १०० १०१




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now