महापुरुषों की प्रेम - कथाएँ | Mahapurusho Ki Prem Kathaye
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
172
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about इलाचन्द्र जोशी - Elachandra Joshi
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)आबेलार ओर एलोइजा के ममंस्पर्शी
प्रम का दुःखान्त इतिहास
সালাহ ভা জন্ম १०७६ में फ्रांस के अन्तर्गत पाले नामक स्थान में
हुआ वह अपने पिता का प्रथम पुत्र था । उसके पिता की श्राथिक परिस्थिति .
खांसी अच्छी थी | बचपन में ही उसको रुचि विद्यार्जज की ओर हो गई
थी। बहुत छोटी अवस्था में उसके पिता ने उसे पैरिस के एक प्रख्यात
विद्यालय में शिक्षा प्रात्त करने के लिये भेजा | उस समय फ्रांस में सर्वत्र
प्रत्यक्वाद का बोलबाला था। श्राबेलार ने कुछ ही सयय के भीतर
दर्शान तथा तकशास्त्र में आश्चर्यजनक उन्नति करके स्वयं श्रपने गुर
से तर्क करके प्रत्यज्ञवाद का खंडन करना प्रारंभ कर दिया | इस गुस्ताख
लड़के का साहस देख कर शुरू दंग रह गया। उसकी तीदण बुद्धिमत्ता
से बह अवश्य चकित था, पर अपने सिद्धान्त का खंडन उसे अच्छा नहीं
मालूम हुआ और उसने आबेलार को इस तरह तंग करना शुरु कर दिया
क्रि उसे पैरिस छोड कर भागना पड़ा ।
अभी वह लड़का ही था कि उसने साँ (सेन्ट) जेनेवियेन में अपनी
एक निजी पाठशाला खोल दी और अपने से बड़ी अवस्था वाले छात्रों को
दार्शनिक शिक्षा देने लगा । धीरे धीरे उसकी विद्वत्ता की ख्याति फैलती
गई और जब जब उसने उस समय के श्रेष्ठ दाशनिक आंसेल्म को भी
दीं तव दवारा हरा दिया तो देश भर में उसकी धाक जम गई। अआबेलार.
User Reviews
No Reviews | Add Yours...