साहित्यावलोकन | Sahityaavlokan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आधुनिक हिन्दी कविता के वाद! रे असन्तोंष ' दोनों दिखाई देते हैं। जनमत के शासन के अनुकूल-प्रतिकूल होने का कारण यह भी हे कि उसने उस समय लाड लिटन का दमनकारी कठोर शासन देखा ओर उसके बाद घावों में मरहम लगाने वाला लाड रिपन का सहानुभूतिपू णं शासन सुख भी अनुभव किया लाडं रिपन उस युग का बड़ा लोक-प्रिय गंबनर-जनरल था। हरिश्चन्द्र-काल म॑ ही देश के नवयुवकों का पाश्चात्य सभ्यता ओर साहित्य से सम्पक बढ़ा तथा कांग्रेस, थियासाफिकल सोसायटी, . प्रार्थना-समाज, आर्य-समाज, ब्रक्मनःसमाज आदि संस्थात्रों की स्थापना से देश में राजनोतिक, सामाजिक ओर धार्मिक जाणति के चिह्न भी दिखाई दिये। कुछ लोग कहते हैं “भारत में नव जागरण का श्रेय अंग्रेज जाति को हे । वस्तुतः यह एकं मनोर्जक विसोधामास है कि प्राच्य विद्याविशारद, साहित्य-ल्लष्टा, पत्रकार, मिशनरी और राजनेता महानुभावों ने नवीन विश्व- सभ्यता और संस्कृति को भारत में लाने में महत्वपूण योग दिया ।?? पर हम इस मतसे पूण रूप से सहमत नहीं हैं। देश म आर्य-समाज, ब्रह्म-समाज ग्रादि के आन्दोलन जिन भावों द्रष्णटा भारतीय साधकों ने चलाये हैं, उनका देश के नव जागरण में प्रमुख स्थान ह। तिलक-केंस के जज चिरोल ने तो स्पष्ट स्वीकार किया हैं कि देश में राष्ट्रीय चतना का मूल भारतीय पुनरुत्थान के जातीय-धार्मिक आनन्‍न्दोलनों में निहित है |? ५ समाज-सुधार को प्रेरणा देने वाले कवियों में हरिश्चन्द्र और प्रेमघन के ~~~ ~~~ जयति धमं सब देश जय भारत भूमि नरेश जयति राजराजेश्वरी जय जय जय परमेश'?--श्रम्बिकादत्त व्यास “सव्र धन ढःया जात विललायत रहया दलिहर छो अन्न-वर्त्र कह सब जन तरसं हारी कहा साहाईं ??-- प्रताप नारायण + (हिन्दी कविता मे युगान्तर' (सुधीन्द््‌ ' पष्ठ ३ 3 “पढ़े जनम भर हैं? फारसी, छोड़ वेद मारण दियो; हा हा हा विधि वाम ने सवंनाश भारत कियो | -- राधाचरण गोस्वामी




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