विज्ञान पत्रिका | Vigyan Patrika
श्रेणी : विज्ञान / Science
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
16 MB
कुल पष्ठ :
52
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about डॉ शिवगोपाल मिश्र - Dr. Shiv Gopal Mishra
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)£
0
श
¢
<
0871)
[म সি
म
=
५8 । + +
৫9
ध £ 30910]]
সপ পা রা ১]
২
পরী এ, মহ
৩১৩ ॐ,
५
¢
नि
५ >
নি
পতি
০
कन টি,
এ. শপ
৪. 1717
মা সি
“५
ন্
स्वर्ण उत्कृष्ट धातु है जिसका लाक्षणिक अर्थ
भी उत्कृष्ट या सर्वोत्तम है और विशेषतः: आभूषणों के
लिए यह सर्वोत्तम धातु है। सोने का आपेक्षिक घनत्व
19.26, गलनांक 1062 , क्वथनांक 2600 सेल्सियस है
ओर इसमें उच्च आघातवर्धनशीलता तथा तन्यता पाई
जाती हे । फलतः स्वर्णाभूषणों आदि के लिए सोने की
2.5 माइक्रोन पतली परत या वर्क और 25 माइक्रोन तक
के महीन तार खींचे जा सकते हैं। 100 वर्ग फूट परत
बेलने या 55 किलोमीटर लंबा महीन तार खींचने में
सिर्फ 28 ग्राम सोना खपता है। सोने का इलेक्ट्रोड
विभव उच्च धनात्मक होता है और इसलिए यह
रासायनिक क्रिया या संक्षारण प्रतिरोधी धातु है तथा
वायुमंडल मे अपना युद्ध रूप एवं प्राकृतिक अरुणादेय
जेसा चमकीला पीत वर्णं (रासायनिक लेटिन नाम अरम
या ^ का अर्थ) बनाए रखती हे । सोना केवल अम्लराज
(एक्वारेजिया) मे घुलनश्ील हे । अति मृदु होने के कारण
आभूषण बनाने योग्य थोड़ी कठोरता लाने के लिए सोने
में तांबे या पीतल या दोनों के अल्पांश (घोषित अनुपात
के अनुसार) मिलाए जाते हैं|
पिछले 15 वर्षो से सोने में निकेल, जस्ता, टिन
और पैलेडियम जैसी अशुद्धियों की मौजूदगी बढ़ती हुईं
फश्वशे 2003
৪ রি न
द जी 5,
৫ | ५ ~
# ॥ ५ कद |
(| টার ্ জপ | |
পর ^; রর
ध, মা নার ১8 7 |
0 रापचन्त्र मिश्च
में शत्तर के दशक में प्रकाशित हुआ था, जिरके गुख्य अंश आज भी मानस पदल पर हैं। वही लेख प्रस्तुत लेख
का प्रेरणा सोत दना क्योंकि उप्नके रचयिता हमारे आदर्श विज्ञान लेखक डॉ० शिवगोपाल मिश्र हैं। प्रस्तुत लेख
में सोने के साथ बढ़ रहे अवगुणों यानी गिलावट, धोखाधड़ी आदि की पहचान, মীন की शुद्धता की अचूक
৭৯
'सर्व गुणा: कांचनगाश्रयंते' शीर्षक से एक खोजी विज्ञान लेख प्रयाग की पूर्व पत्रिका विज्ञान भारती |
|
|
|
|
वैज्ञानिक परीक्षा, सही मूल्यांकन, भानकीकरण और गुहरांकब द्वारा प्रमाणीकरण का खुलासा है। |
पाई गई हे । सोने मं ्चौँदी, तांबा ओर निकल या जस्ता
की मिलावट से मिश्र धातु के रंग में क्रमश: हरा-पीला,
हल्का लाल-गुलाबी तथा सफेद अल्पांतर आता है जो
पहचान योग्य होता है | पश्चिमी देशों मँ सौँदर्यमूल्य हम
से भिन्न होने के कारण वहाँ निकेल मिश्रित स्वर्ण या
धवल स्वर्ण के आभूषणं का चलन है ओर तदनुसार
घोषित शुद्धता के ऐसे आभूषण अपेक्षाकृत कम मूल्य पर
बगेर धोखाधड़ी के उपलब्ध हँ | भारत में मुनाफाखोरी
की खातिर सोने में कई अशुद्धियां जौहरी द्वारा मिलाई
जाती हैं और साथ दही इलेक्ट्रानिक तुला के प्रयोग के
बावजूद कम वजन देने ओर अधिकृत मूल्य से ज्यादा
कीमत वसूलने की वारदाते धड़ल्ले से चलती हें |
आखिरकार सोने के साथ यह सर्वं अवगुणाः
भारत में ही क्यों सर्वाधिक है ? एक कारण यह है कि
भारत में सोने की खपत सर्वाधिक है और यह सबसे
बड़ा आभूषण निर्यतक देश है। भारत की कूल स्वर्ण
राशि 1410 बिलियन टन (10 बिलियन टन समुद्र में) में
से अब तक मात्र 50,000 टन राशि ही प्राप्त की जा
सकी है और भारत में हर साल लगभग 900 टन स्वर्ण
की मात्रा की खपत होती है। इसमें से सर्वाधिक खपत
आभूषणों और सजावटी वस्तुओं के लिए होती है और
विज्ञान/14
User Reviews
No Reviews | Add Yours...