पुरातत्त्व - निबंधावली | Puratatv - Nibandhavli
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14 MB
कुल पष्ठ :
400
श्रेणी :
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No Information available about राहुल सांकृत्यायन - Rahul Sankrityayan
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पुरातत्व ५
भी বজ। बे व्यग्न रहे कि, कहीं असावधानीसे वह सामग्री नष्ट या लुप्त
न हो जाय! जब में १९३२ ई० के नवम्बरमें पेरिसमें था, तब उन्हें
काहमीरसे पत्र मिला था, जिसमें किखा था कि, हस्तलेखोंका मिरूपण
(८76) कियो जा रहा है { कहाँ वह आक्षा रखते थे कि, इन अठारह
महीनोंमें उन पुस्तकोंके नाम आदिके विषयर्मे कोई विस्तृत विवरण भिलेना
और कहाँ पत्र जा रहा है कि, गुप्त-लिपिमें लिखे ग्रन्थोंका निरूपण किया
जा रहा है! यदि. ग्रन्थोंका प्रकाशन या विवरण तैयार न करके अठारह
महीने सिर्फ निरूपणमें ही लग जाते हैं, तो कब उन्हें विद्वानों के सामने आने.
का मौका मिलेगा ! आचायें लेवीने कहा था कि, पूरे अठारह महीने हो
गये, ऐसा अद्भुत ग्रन्थ-समुदाय भारतमें मिला है जिसे रोग केवल चीनी `
और तिब्बती अनुवादोंसे ही जान सकते थे; परन्तु उसके बारेमें भारतमें `
इस तरहका आलस्य है, यह भारतके लिये रज्जाकी बात है!
भारतीय पुरातत्त्वके साहित्यके बारेमें यदि आप पूरी जानकारी
प्राप्त करना चाहते हैं, तो उसे आप हालेंड-निवासी डा० फोगल और उनके
सहयोगियोंके परिश्रमसे निकलनेवाली वाषिक पुस्तक “71% 404
22046200) / 1४40 4८0०८०20 से जान सक्ते है ।
४---पुरातत्वोत्लननके लिये एक सेवक-दलकी आवश्यकता .
पुरातत्व-सम्बन्धी खोज और खननका सारा भार हम सरकारपर
ही नहीं छोड़ सकते। सभी सभ्य देशोंमें गैर सरकारी लोगोंनें इस विषयमें
बहुत काम किया है। अर्थे-कृच्छृताके कारण गवरनंमेंटने पुरातत्वविभागके
खर्चको बहुतही कम कर दिया है। भारत सरकारके शिक्षा-सदस्यके
भाषणसे यह भी मालूम हुआ हैं कि, सरकार विदेशी विद्वविद्यालयों
तथा दूसरी विश्वसनीय संस्थाओंकों भारतमें पुरातत्त्वसम्बन्धी उत्सननके. `
लिये अनुमति दे देगी । एेसा करनेसे नि्वय ही भारतके इतिहासकी
बहुतसी बहुमूल्य सामग्रीको--जो आमें खुदाईमें निकलेगी--वह संस्थाएँ
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