उत्तरी भारत का इतिहास | History Of Northern India

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हल ए. द् 1 हब दा _.............. [उत्तरी भारत का इतिहास ही हा इस तरह हम देखते हैं कि कुमारगुप्त प्रथम की मृत्यु के बाद अनेक राजकुमारों रद पुरुगुप्त, स्कन्दगुप्त,द घटोत्कछ भौंर संभवत: चन्द्रगुप्त तृतीय ने साश्नाजिक सिंहासन को प्राप्त करने का प्रयास किया । राष्ट्र और साम्राज्य के लिए यह स्थिति बड़ी : संकटपूर्ण थी 1 हुण देश को पददलित कर रहे थे और राजपरिवार में उत्तराधघिकार ... ..... के लिए आस्तरिक कलह चल रही थी । संभवतः स्कस्दगुप्त नें शक्तिशाली पुष्यमित्रों ..... ..... और हों को परास्त कर जनता. की श्रद्धा प्राप्त करली थी । अतः . उसने अपने :........ बाहुबल से राजवंधा की लड़खड़ाती हुई राजलक्ष्मी को प्राप्त किया. ( 'विप्खुत्ताम्बंद . - हा रखी पा एन कि ग ........... जिस समय तोरमाण नें मंगघ को विजय किया उस समय रांजपरिवार में . _...... आस्तरिक कलहू चल रही थी और विद्रोही सामन्त अपनी शक्ति बढ़ा रहें थे । प्रतीत... .... होता है कि आरम्भ से ही तोरमारं गुप्त बंध के कुछ असंतुष्ट 'राजकुमारों के सम्पर्क दर . में था। . कुवलयमाला' के जैंन अ्रन्थकार उद्योततत सूरि ने लिखा है कि भारत में :...तोरमाण कां मुख्य स्थान चेनाव पर स्थित पव्बैंया था भर हरिगुप्त उसका गुरु थाजी ....... स्वयं गुप्त परिवार का एक वंझाज था। आायं-मब्जु श्री मूलनकल्प के अनुसार . ........ .. . अकटादित्य जिसको तोरमाण ने काशी में अभिषिक्त किया. था. समुद्रशुप्त के अनुज... ........कावंगज था। पूर्वी बंगाल में महाराज बेनगप्त स्वतंत्र हो गया और महाराजा-. ...... धिंराज की पदवी घारण की । प्रतीत होता है. कि तोरमाण ने तरसिंह गुप्त को .... परास्त करने के. बाद अपने पिटूद बैतगुप्त को. सिंहासन पर बैंठाया । उसने अपने को सम्नादू घोषित किया, सामाजिक उपाधियाँ ग्रहण कीं और ढादशादित्य उपाधि- युक्त मुद्रायें ढलवाई। स्पष्ट हैं तोरमाण चाहता था. कि गुप्त साम्राज्य के दो... ..... टुकड़े हो जॉय। इस कलह का लोभ उठाकर मालवा के राजा यश्योधमंत्त ने गुप्त... _..... साझाज्य पर चोट की और इसकी नींव को पूर्ण रूप से हिला दिया और संपूर्ण गिर हा उत्तरी भारत पर अधिकार कर लिया । ह ही कुमारगुप्त प्रथम के शासन के अन्तिम भाग में मध्य भारत के पुष्यमित्रों ने... कस यु ल्‍ जि दि दर वद्रौह किया बौर साज्ञाजिक युप्तों की शक्ति पर वोट करना आरम्भ किया 1... ....... स्कत्द गुप्त ने घनघोर थुद्धों के बाद उनका दमन किया । उसी समय हुखों ने भी. ..... थुप्त साब्नाज्य पर चढ़ाई की. तथा बुद्ध कुमारगुप्त प्रथम की ४५५. ई० में मृत्यु हुई +. राज्य लड़खड़ा रहां था किन्तु स्कन्दगुप्त ने क्षपने बाहुबल से पृथ्वी ग व डे




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