ज्ञान वैराग्य भाषा | Gyaan Vairagya Bhasha
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
203
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रथम किरण । ( १७ )
एक कामों देवता और दैत्योंका युद्ध होने लगा. दैर्योका राजा जरृषर्
হা, तिसकी स्लीका नाम हूंदा था वह वडी प्रसित्रता थी, लिसके प्रात्तिमत्यके
प्रभावसे चह जलूंघर दैत्य देवेतेति जीता नहीं जाता था, तब देवतेंनि
विष्णुत जलंधघरके जीतनेके लिये कई उपाय किये । विष्णु जरूंधरका रूप
धारण करके तिसकी ज्रीके पास गये और उससे:-मोग किया जब कि,
भोग करके पृ्तित्रतधमे नष्ट करनुके तव वृन्दाको माद्धम होगया करि यह
विष्णु हैं हमारे पति नहीं हैं, तव तिसने विष्णुकों शाप देदिया, जाबो तुम
पापाण होजावो । तिसके झापतसे विष्णुकों पापाण होना पडा । है चित्तइसे !
यह ल्लीरूपी विषय मुक्तिमागेका विरोधी है इसीलिये विवेकी पुरुष इससे दूर
मागत है ॥ ७ ॥
ই चित्तवृत्त | पद्मपुराणके स्पर्गखण्डमें एक इद्ध वाह्मणकी कथा लिखी है
जिसका ख्रीके दशेनसे मृत्युही होगया था तिसकी कयाकों भी तुम छुनो ।
मेगार्जौकरे किनारेपर एक वडा तपसी इद्र ब्रह्मण रहता था भौर खोकौको
स्देवकाऊछ धर्मकाही उपदेश करता था और विप्रो बेडा उक्तम अपने नित्य
नैमितिक कर्ममें भी वडा तत्पर था और अकेझाही एक मंदिरें रहता था
एक दिन बह अपने मंदिरके द्वारपर बैठा हुवा था कि इतनेमें एक ज्ञी बडी
रूपवर्ती युवावस्थावाडी अपने पतिके गृहकों जातीहई तिस मंदिर्के आगेसे
निकली | तिस्र छ्ीके रूपको देखकर बह ब्राह्मण मोहित होगया और काम-
कर्के वडा पीडित इभा | वह स्री अपने गृहके भीतर चढछी गई तब बह
देरतक उसके द्वारकी तरफ देखता रहा जो फिर লালে बाहरकों निकले
तब मैं उससे कुछ बातचीत करूं जब कि दह फिर वाहरकों न निकठी तब
ब्राह्मण देवता तिसके द्वारपर जाकर पुकारने छगे है प्रिये | जछदी , किवाडोंकों
खोलो | में तुम्हारा पत्ति हैं, तिसके शब्दकों सुनकर दिस जाने किवाडोंको
खोक दिया भौर देखा तो एक ब्ध ब्राह्मण छडे हैं | त्रीने कहा तुम कौन हो £
और क्यों हमारे द्वारपर आये हो £ उस आाह्मणने कहा मैं आह्मण हूँ, तुम्हारे
सुन्दर रूपको देखकर हमारा मन काम करके व्याकर. होगया है हम मोग
करनेकी इच्छा करके तुग्हारे द्वारपर आाये हैं तुम हमसे भोग करो । तिस
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